________________
होते मूढ नर कामपरायण
५१
बार एक युवक तमाशा देखने गया, वहीं वह इस कम्पनी की हिरोइन के प्रति मोहित हो गया । अब वह प्रतिदिन उस हिरोइन को पाने और अपनी कामपिपासा की पूर्ति के लिए वह प्रतिदिन नाटक देखने आने लगा। एक दिन उसका कामावेग इतना बढ़ा कि उस हिरोइन के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित करने के लिए उसने एक फूल उसे भेंट दिया। परन्तु हिरोइन उस युवक की भावना की गहराई को नहीं समझी। उसने फूल को नीचे गिरा कर पैरों तले रौंद दिया। यह देखकर युवक का दिल टूट गया। उसने अपना अभीष्ट काम संकल्प पूरा होता न देखकर निराशा के तीव्र आवेग में अपने पेट में वहीं छुरा भौंककर अपना काम तमाम कर लिया। ऐसे कामान्ध ही मूढ़ होते हैं, जो कामवासना के प्रवाह में फिसल जाते हैं और जब उसकी पूर्ति के लिए अभीष्ट नारी नहीं मिलती, तो वह अपनी जिंदगी को नष्ट कर डालता है।
उर्दू के एक शायर ने ठीक ही कहा है
जिसे हम हार समझे थे, गला अपना सजाने को । वह काला नाग बन बैठा हमें ही काट खाने को ॥
काम का प्रवेश होते ही अन्य पांच रिपुओं का प्रवेश काम षड्डिपुओं में सबसे प्रबल है । कामग्रस्त मनुष्य झटपट दूसरे पाँच रिपुओं से घिर जाता है। जिस जमाने में भारत में धर्मप्राण लोंकाशाह हुए उसी जमाने में यूरोप में मार्टिन ल्यूथर हो गए हैं । रोमन कैथोलिक सम्प्रदाय बहुत कट्टरपंथी था। मार्टिन ल्यूथर ने इसमें सुधार करके नया पंथ चलाया, जिसका नाम रखा प्रोटेस्टेंट ! मार्टिन ल्यूथर ने प्रोटेस्टेंट मत में पादरियों को विवाह करने की छूट देदी। जिसका परिणाम यह आया कि इस मत में स्वच्छन्दता बढ़ने लगी। कामरिपु घुस गया; इसलिए कामवासना को संतुष्ट करने के लिए धन की जरूरत पड़ने लगी। फलतः उद्योग-धन्धे शुरू हुए। उसमें से लोभ बढ़ा। इस तरह लोभरिपु घुसा । फिर जहाँ बालबच्चे हुए कि तेरे-मेरे की भावना पैदा हुई, यों मोह भी आ गया, आपस में दाम्पत्य जीवन में झगड़ा होना सम्भव है, यों क्रोधरिपु भी अधिकता से बढ़ा । पैसा होने पर ऐश्वर्यमद आ ही जाता है, अधिकार का मद भी आ सकता है, इस प्रकार मदरिपु भी आ घुसता है और जहाँ स्त्री और धन दोनों आए वहाँ मत्सर भी पीछे नहीं रहता । इस तरह जहाँ एक काम रिपु आया, वहाँ लोभ, मोह, क्रोध, मद और मत्सर के आते देर नहीं लगती। इसीलिए संत कबीर ने इस सम्बन्ध में संतों-भक्तों को साफ-साफ सुना दिया
कामी क्रोधी लालची, इनसे भक्ति न होय ।
भक्ति करे कोई शूरमा, जाति वरन कुल खोय ।। जिस जीवन में काम, क्रोध और लोभ ये तीनों हों, उसमें परमात्म भक्ति के द्वार बंद हो जाते हैं। भगवद्गीता में इन तीनों के रहते मनुष्य को स्वर्ग या मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग कठिन बताया है
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org