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क्रोधीजन सुख नहीं पाते
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चाहिए। उससे दूर रहना चाहिए। जिस प्रकार चण्डाल गन्दा होता है, इसी प्रकार क्रोधीरूपी चाण्डाल मन का गन्दा होता है, वह अनेक दुर्गुणों से घिरा होता है । देखिए मनुस्मृति (७/४८) में क्रोध से पैदा होने वाले ८ व्यसन बताये हैं
"पैशुन्यं साहसं द्रोहमीर्ष्याऽसूयार्थदूषणम् ।
वाग्दण्डजं च पारुष्यं क्रोधजोऽपि गणोऽष्टकः ॥" (१) चुगली, (२) दुःसाहस, (३) वैर, (४) जलन, (५) दूसरे के गुणों में दोषदर्शन, (६) अयोग्य धन का लेन-देन, (७) कठोर वचन, (८) क्रूरता का बर्ताव । ये ८ व्यसन क्रोध से उत्पन्न होते हैं। क्रोध चाण्डाल जिसमें आ जाता है, वह सभ्यसमाज में आदरणीय नहीं बनता। उसका पारिवारिक एवं व्यक्तिगत जीवन अस्तव्यस्त हो जाता है। क्रोधी आदमी का हर जगह से बहिष्कार होता है। अतः जिसके घट में क्रोध उफन रहा है, क्रोध जनित दुर्गुण घुसे हुए हैं, वह चाण्डाल है ।
चिमनराय पण्डित नदी से नहा कर आ रहा था । मार्ग में वह एक चाण्डालिन से छू गया। बस, एक ही क्षण में क्रोध से वह आगबबूला हो उठा। उसकी
आँखें लाल हो गईं। वह चाण्डालिन पर बरस पड़ा। चाण्डालिन कुछ देर सुनती रही। फिर भी चिमनराय का क्रोध शान्त न हुआ। लोग इकट्ठे हो गये । चाण्डालिन ने निकट आकर चिमनराय का हाथ पकड़ लिया। लोगों ने उसे टोका--तुमने इनका हाथ क्यों पकड़ा ? "वह बोली-यह मेरा पति है । इसे मैं अपने घर ले जाना चाहती हूँ।" अब तो चिमनराय का क्रोध और बढ़ गया। उसने हाथ छुड़ाना चाहा, मगर चाण्डालिन ने छोड़ा नहीं । आखिर पुलिस आई और दोनों को पकड़ कर न्यायाधीश के सामने पेश किया।
अब चिमनराय का क्रोध शान्त हुआ । उसे अपने किये पर पश्चात्ताप हुआ। न्यायाधीश ने पूछा-'तुम दोनों क्यों लड़े थे?" चाण्डालिन बोली-मैं अपने पति को घर ले जाना चाहती थी, मगर ये चल नहीं रहे थे, इसलिए लड़ाई हो गई।"
चिमनराय बोले "मैं इसका पति नहीं हूँ, तब इसके यहाँ कैसे जाता ?" न्यायाधीश-"क्या यह तुम्हारा पति नहीं है ?" चाण्डालिन-“पहले था, महाशय ! अब नहीं है।" न्यायाधीश-"पहले था, अब नहीं, इसका क्या अर्थ है ?"
चाण्डालिन–'जब तक इसके घट में चण्डाल था, तब तक यह मेरा पति था, अब इसके घर से चण्डाल निकल गया है, इसलिए अब यह मेरा पति नहीं रहा ।"
सचमुचं, जहाँ क्रोधरूपी चाण्डाल होता है, वहाँ आदमी का हर जगह अपमान होता है । वह कहीं सुख नहीं पाता, इस चण्डाल के कारण ।
दुर्वासा ऋषि ही नहीं, महर्षि थे। महर्षि पद इतना प्रतिष्ठित होता है कि संसार का सबसे शक्तिशाली और वैभवशाली व्यक्ति भी उसे नमन करता है । परन्तु
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