________________
अभिमानी पछताते रहते
२५७
मनुष्य व्यर्थ के घमण्ड में न फँसे और अपनी क्षणभंगुरता भी जाने । स्वस्थ मानसिक सन्तुलन तभी हो सकता है, जब मनुष्य में न तो अहंकार हो और न ही आत्म-हीनता । दोनों के मध्य की स्थिति ही उचित है । मोहभाव, अत्यन्त आसक्ति और अहंकार, ये आध्यात्मिक पतन के लक्षण हैं । आसुरीशक्ति वाले व्यक्ति में ये ही भाव लहराया करते हैं
"दम्भोदर्पोऽभिमानश्च क्रोधः पारुष्यमेव च ।"
दम्भ, दर्प, अभिमान, क्रोध और कठोरता आदि आसुरी सम्पदा के भाव हैं । ये पतन की ओर ले जाने वाले हैं ।
भगवद्गीता में बताया गया है कि कर्मयोगी श्रीकृष्ण ने मोहितचित्त अर्जुन को उपदेश देना प्रारम्भ किया, जब पर्याप्त उपदेश देने पर भी उसकी आसक्ति, अहंकार और मोह कम न हुए, तब श्रीकृष्ण ने ( वैक्रियलब्धि से ) अपना विराट रूप दिखाया । उस विराट रूप को देखकर अर्जुन का अहंकार दूर हुआ । उसे इस विराट संसार में अपनी वास्तविक स्थिति का भान हुआ ।
उसने समझ लिया कि वह भौतिक संसार जड़-चेतन मिश्रित है । बादलों के बने हुए विविध चित्रों के समान आत्मा के सिवाय समस्त पुद्गल - भौतिक जड़ पदार्थ - बनते और बिखरते हैं । आत्मा-परमात्मा के सिवाय इनमें से कोई भी पदार्थ निरन्तर, अजर, अमर, अविनाशी नहीं है । यह शरीर, मन, बुद्धि, इन्द्रियाँ, इन्द्रियों के विषय सुख वासनाएँ, तृष्णाएँ, आकांक्षाएँ आदि सब कुछ तुच्छ, विनाशी और क्षणिक हैं । जिस पर मैं इतरा रहा था, वह तो मेरे शरीर आदि जड़ स्वभावी पदार्थ थे । मुझे तो आत्मा-परमात्मा के साथ अभिन्नता स्थापित करनी चाहिए ।
इस प्रकार विशाल सृष्टि के साथ अपनी तुलना करने पर अर्जुन को अपनी लघुता, शारीरिक नश्वरता एवं पार्थिव सुखों की अनित्यता का बोध हो जाता है । विराट रूप की एक झलकमात्र से अर्जुन को उसकी वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो गई । फलतः उसका अहंकार दूर हो गया, उसको मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त हुआ, आसक्ति और मोहभाव दूर हुआ, जीवन लक्ष्य की ओर बढ़ने की भव्य प्रेरणा मिली । अहंकारी अपनी डींग अधिक हांकता है होता है कि वह अपने आपको बहुत विशाल प्रदेश वाला समझ लेता है, जबकि वह सिन्धु में बिन्दु के समान होता है । एक व्यक्ति अपने प्रदेश-प्रान्त को बहुत बड़ा मानता था । एक दिन उसका गर्व उतारने के लिए एक सज्जन दुनिया का मानचित्र ( एटलस) लाए और उसे दिखाते हुए कहाबताइए कि इसमें आप किस देश में रहते हैं ? उसने एशिया पर उंगली रखकर फिर भारतवर्ष के नक्शे पर अंगुलि रखी। फिर उसने पूछा - "भारतवर्ष में भी आप किस प्रान्त और किस जिले में रहते हैं ? जरा अंगुलि रखकर बताइए तो ।” उन्होंने मध्य प्रदेश और उसमें भी उज्जैन जिले पर अंगुलि रखी । तत्पश्चात् उन्होंने कहा
अहंकारी मनुष्य का स्वभाव
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org