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आनन्द प्रवचन : भाग ८
क्रोध : विष का स्रोत लोग कहते हैं बिच्छू के कांटे (डंक) में और सांप आदि की दाढ़ में विष रहता है, परन्तु ज्ञानी पुरुषों का कहना है कि क्रोध में विष रहता है, या यों भी कहा जा सकता है कि क्रोध विष का जनक है। जब मनुष्य अत्यन्त क्रोधाविष्ट होता है, तब उसके शरीर में विष व्याप्त हो जाता है । अत्यन्त क्रोधी एवं अतिरौद्र मनुष्य की दुर्भावनाओं का रंग एकदम काला, गाढ़ काला होता है। चमड़ी का रंग नहीं किन्तु अन्दर के परमाणुओं का रंग काला होता है। तीर्थंकरों ने छह लेश्याओं के अलगअलग रंग, रस, गन्ध और स्पर्श का वर्णन किया है। उनमें से कृष्ण लेश्या का रंग बिलकुल काला श्याह बताया है, उसका रस अतिकटु, स्पर्श अत्यन्त खरा, और गन्ध, अत्यन्त वीभत्स बताई है। अमेरिका की एक विदुषी महिला 'मदर जे. सी. ट्रस्ट' ने मानव शरीर में पाये जाने वाले विभिन्न रंग के अणुओं और उन अणुओं पर से मानव के चरित्र का विश्लेषण करने का अभ्यास किया था। इस सम्बन्ध में उसने 'अणु और आत्मा' आदि दस पुस्तकें भी लिखी हैं।
___न्यूयार्क के वैज्ञानिकों ने परीक्षा करने के लिए गुस्से में भरे हुए मनुष्य के खून की कुछ बूंदें लेकर पिचकारी द्वारा उन्हें एक खरगोश के शरीर में पहुँचाईं। नतीजा यह हुआ कि बाईस मिनट बाद खरगोश आदमियों को काटने दौड़ने लगा। पैंतीस मिनट पर उसने अपने आप को काटना शुरू कर दिया और एक घन्टे के अन्दर वह पैर पटक-पटक कर मर गया।
क्रोध करते समय खून में जहर फैल जाता है। इसलिए मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों का कहना है कि माताओं को क्रुद्ध अवस्था में बच्चों को स्तनपान नहीं कराना चाहिए।
एक माता किसी से लड़ते-लड़ते अत्यन्त क्रुद्ध हो गई। क्रोधावेश में ही उसने अपने बच्चे को स्तनपान कराया । परन्तु स्तनपान करते ही बालक मर गया । डॉक्टरों ने जाँच करके बताया कि अत्यन्त क्रोधावेश में इस महिला का खून जहरीला बन गया था, जिसके फलस्वरूप स्तनपान करते ही बालक की मृत्यु हो गई।
सचमुच क्रोध शरीर में विष पैदा करता है। क्रोधी व्यक्ति के शरीर में कई प्रकार के विष उत्पन्न हो जाते हैं, जिनकी तीक्ष्णता से भीतरी अवयव गलने लगते हैं। जिस प्रकार दमा, गठिया, डायाबिटीज, यकृतवृद्धि आदि रोग मनुष्य को घुलाघुला कर मार डालते हैं । उसी प्रकार क्रोध से उत्पन्न होने वाले विष भी घुला-धुला कर मार डालते हैं। डॉ० अरोली और केनन ने अनेक परीक्षणों के बाद यह घोषित किया है कि क्रोध के कारण अनिवार्यतः उत्पन्न होने वाली विषैली शर्करा खून को अशुद्ध कर देती है। खून अशुद्ध और विषाक्त होने के कारण पाचनशक्ति बिगड़ जाती है, सारा शरीर और चेहरा पीला पड़ जाता है । नसें खिंचती हैं एवं गर्मी व खुश्की बढ़ जाती है। सिर का भारीपन, कमर में दर्द, पेशाब का पीलापन, आँखों के
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