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क्रोधीजन सुख नहीं पाते २३५
प्रकोप रहने लगता है। सिर का भारीपन, कमर में दर्द, पेशाब का पीलापन क्रोध जन्य उपद्रव है । दूसरी अनेक प्रकार की व्याधियाँ उसके पीछे पड़ जाती हैं । एक अच्छी होती है तो दूसरी उठ खड़ी होती है और दिन-दिन क्षीण हो कर मनुष्य अल्पकाल में ही काल के गाल में चला जाता है ।
एक छोटा सा गाँव था । उसमें एक क्रोधी बुढ़िया रहती थी । उसका स्वभाव इतना चिड़चिड़ा हो गया था कि बिना मतलब के ही रास्ते चलते किसी को छेड़ने, उससे लड़ने और गालियाँ देने की आदत पड़ गई थी। लड़ाई-झगड़ा और क्रोध किये बिना उसकी रोटी हजम नहीं होती थी । उसकी इस आदत से घर वाले और गाँव वाले सभी परेशान हो गए। सबने मिल कर गाँव के ठाकुर से बुढ़िया की शिकायत की कि या तो इस मुसीबत को दूर किया जाए या फिर हमें इस गाँव को छोड़कर कहीं अन्यत्र जाना पड़ेगा ?"
ठाकुर साहब यह सुनकर पशोपेश में पड़ गए । उन्होंने कहा — गाँव से किसको निकालूँ किस को रखूं ? तुम चाहो तो गाँव के 300 घरों में से प्रतिदिन एक घर को इससे लड़ने और गुस्सा करने की बारी बांध दें। जिससे एक ही घर ( जिसकी बारी होगी) में अशान्ति होगी, बाकी के 299 घर तो बचे साहब की यह योजना स्वीकार कर ली लिया गया कि वह बारी वाले घर से
रहेंगे ।" सबने ठाकुर
।
बुढ़िया को भी बुला कर इस बात के लिए ही लड़े, अन्य घरों से नहीं ।"
लड़ाई की बारी बन्ध जाने के बाद बुढ़िया प्रतिदिन उसी घर में जाती, जिस घर की बारी होती । बुढ़िया उस घर में जाते ही बहुत ही क्रोधजनक उत्तेजनात्मक
घर के लोग प्रत्युत्तर में उसे गालियाँ
एवं मर्मस्पर्शी अपशब्द सुनाती, इससे क्रुद्ध हुए देते और चुन-चुन कर अपशब्द कहते, इससे बुढ़िया का पारा भी अत्यन्त गर्म हो जाता । इस प्रकार लड़ाई और गुस्से का सिलसिला चल पड़ता । जब बुढ़िया गुस्सा करती और लड़ती- लड़ती थक जाती या हाँफ जाती, तब बन्द हो जाती और चल देती ।
इस प्रकार लड़ते-लड़ते एक दिन एक ऐसे घर की लड़ाई की बारी आई, जहाँ उसी दिन घर के मुखिया की पुत्रवधू आई थी । घर में सबके चेहरे उदास देख कर उसने कारण पूछा। पहले तो सबने बताने से आनाकानी की, लेकिन जब उसने अत्यधिक आग्रह किया, तो उसकी सास ने कारण बता दिया । पुत्रवधू ने कहा- आप कोई भी आज मत बोलना, मैं उस बुढ़िया से लड़ लूंगी। मैंने अपनी माँ से ऐसा मन्त्र सीखा है कि सदा के लिए उसकी लड़ाई शान्त कर दूंगी।" पहले तो सबने कहा"तुम उससे लड़ नहीं सकोगी, वह बहुत कड़वी और क्रोधोत्पादक वाणी बोलती है ।" पुत्रवधू ने कहा- आप निश्चिन्त रहें, मैं उससे अच्छी तरह निपट लूंगी।" सास ने स्वीकृति दे दी ।
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