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सज्जन होते समय-पारखी
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वैद्य झंडु भट्ट ने जामसाहब के स्मारक में एक लाख कोरी चन्दा लिखाया, मगर स्थिति ऐसी थी नहीं, उनके एक पुराने रोगी से अब्दुला को पता चला तो उन्होंने वैद्यजी के यहाँ एक लाख कोरी भिजवा दी। भट्टजी ने अपने मुनीम से कहा- "देखो धर्म की गति कितनी तेज है ! इन्हें अभी ही जामसाहब के यहाँ पहुंचा दो।
__ बन्धुओ ! इसीलिए कहा गया है-"ते साहूणो जो समयंचरंति" सत्पुरुष समय के पारखी, ज्ञाता व अवसर का उचित उपयोग करते और समय के अनुसार अपने जीवन को ढालते हैं। वे धर्मकार्य या सत्कार्य में कभी विलम्ब नहीं करते, प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करते हैं। आप अपने जीवन को उन्नत बनाना चाहते हैं तो समय के पारखी बनें। वास्तव में जो समय को परखता है और उसका उचित उपयोग करता है, संसार में वही सु-पुरुष, सत्पुरुष या उत्तम पुरुष बन सकता है।
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