Book Title: Acharang Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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अध्ययन १ उद्देशक ८
प्रथम अध्ययन का आठवां उद्देशक
सातवें उद्देशक के अन्त में प्रासुक पानी के विषय में बताया गया है उसी विषय का यहाँ आठवें उद्देशक में विस्तार से विवेचन किया गया है। सूत्रकार फरमाते हैं कि -
सेभिक्खू वा भिक्खूणी वा जाव पविट्ठे समाणे से जं पुण पाणगजायं जाणिज्जा तं जहा- अंबपाणगं वा, अंबाडगपाणगं वा, कविट्ठपाणगं वा, माउलिंगपाणगं वा, मुद्दियापाणगं वा, दाडिमपाणगं वा, खज्जूरपाणगं वा, णालिएरपाणगं वा, करीरपाणगं वा, कोलपाणगं वा, आमलगपाणगं वा, चिंचापाणगं वा, अण्णयरं वा, तहप्पगारं पाणगजायं सअट्ठियं सकणुयं सबीयगं असंजए भिक्खुपडिय़ाए छब्बेण वा दूसेण वा वालगेण वा, आवीलियाण वा, पवीलियाण परिसाइयाण आहड्ड दलएज्जा तहप्पगारं पाणगजायं अफासुयं लाभे संणो पडिगाहिज्जा ॥ ४३ ॥
कठिन शब्दार्थ - अंबपाणगं आम का धोवन, अंबाडगपाणगं अंबाडग का धोवन, कविट्ठपाणगं - कपित्थ का धोवन, माउलिंगपाणगं- बिजौरे का धोवन, मुद्दियापाणगंदाखों को धोया हुआ धोवन, दाडिमपाणगं - दाड़म का धोवन, खज्जूरपाणगं- खजूर का धोवन, णालिएरपाणगं- नारियल का धोवन, करीरपाणगं- केर का धोवन, कोलपाणगंबोर का धोवन, आमलगपाणगं - आंवले का धोवन, चिंचापाणगं - इमली का धोवन,
अट्ठियं - गुठली सहित, सकणुयं - छाल वाला, छिलके सहित, सबीयं - बीज युक्त, छब्बेण - छलनी से, दूसेण - वस्त्र से, वालगेण - बालों वाली छलनी से, आविलियाणमसल कर दाब कर, पवीलियाण छानकर, बार-बार मसलकर, परिसाइयाण - गुठली आदि निकाल कर, छान कर ।
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भावार्थ आम का धोवन, अम्बाडग का धोवन, कबीठ-कैथ का धोवन, बिजौरे का धोवन, दाखों का धोया हुआ धोवन, अनार का धोवन, खारक का धोवन, नारियल (खोपरा) का धोया हुआ धोवन, कैर का धोवन, बेर का धोवन, आंवले का धोवन, इमली का धोवन या इसी प्रकार का अन्य कोई धोवन जो सचित्त गुठली, छिलके या बीज से युक्त हो और असंयति गृहस्थ साधु के निमित्त से छलनी द्वारा, वस्त्र से या बालों की चालनी या छिद्र
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