Book Title: Acharang Sutra Part 02
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
अध्ययन १५
२८७
के पांच कल्याणक ही होते हैं यथा- १. च्यवन कल्याणक (गर्भ कल्याणक) २. जन्म कल्याणक ३. दीक्षा कल्याणक ४. केवलज्ञान कल्याणक और ५. निर्वाण-मोक्ष कल्याणक।
इस अवसर्पिणीकाल में प्रथम तीर्थङ्कर भगवान् ऋषभदेव का राज्याभिषेक देवों ने किया था क्योंकि इससे पहले राजा बनने की परिपाटी नहीं थी इसलिये भगवान् ऋषभदेव का राज्याभिषेक भी कल्याणक माना गया। इस प्रकार भगवान् ऋषभदेव के पांच कल्याणक अर्थात् सर्वार्थसिद्ध महाविमान से च्यवकर माता के गर्भ में आना - गर्भकल्याणक, जन्म कल्याणक, राज्याभिषेक कल्याणक, दीक्षा कल्याणक और केवलज्ञान कल्याणक। ये पांच कल्याणक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में हुए और निर्वाण (मोक्ष कल्याणक अभिजित् नक्षत्र में हुआ। .. इसी प्रकार श्रमण भगवान् महावीर स्वामी के दूसरे तीर्थङ्करों की अपेक्षा कुछ विशेषता होने के कारण छह कल्याणक हुए। यथा - १. च्यवन कल्याणक (गर्भ कल्याणक) २. संहरण कल्याणक ३. जन्म कल्याणक ४. दीक्षा कल्याणक ५. केवलज्ञान कल्याणक, ये पांच कल्याणक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में हुए। छठा निर्वाण कल्याणक स्वाति नक्षत्र में हुआ।
यदि भगवान् ऋषभदेव का राज्याभिषेक और भगवान् महावीर स्वामी का गर्भ संहरण इन दोनों को कल्याणक न माना जाय तो दूसरे तीर्थङ्करों की तरह ही भगवान् ऋषभदेव के
और भगवान् महावीर स्वामी के भी पांच-पांच कल्याणक ही हुए हैं। दोनों प्रकार की मान्यताओं में किसी प्रकार का विरोध नहीं है। परन्तु पांच कल्याणक वाली मान्यता आगमानुकूल है अतएव उचित लगती है। गर्भ संहरण तो केवल गर्भ का स्थानान्तरण होना है अतः यह कोई कल्याणक नहीं है। इसी प्रकार भगवान् ऋषभदेव के राज्याभिषेक को कल्याणक मानना उचित प्रतीत नहीं होता है क्योंकि यह तो काल चक्र की परिस्थिति विशेष है।
मूल पाठ में "तेणं कालेणं तेणं समएणं" शब्द दिया है "तेणं कालेणं" शब्द का अर्थ है इस अवसर्पिणी काल का "दुस्समसुसमा" नामक चौथा आरा। 'तेणं समएणं' का अर्थ है इस चौथे आरे का अन्तिम भाग अर्थात् जिस समय श्रमण भगवान् महावीर स्वामी की विद्यमानता थी।
महावीर स्वामी के लिये मूल पाठ में 'भगवं' विशेषण दिया है। जिसका अर्थ है भगवान् "भगं भाग्य विद्यते यस्य सः भगवान्" भग अर्थात् भाग्य जिसके हो वह भगवान्। अमरकोश में "भग" शब्द के नौ अर्थ दिये हैं यथा -
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org