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अध्ययन ११
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से भिक्खू वा भिनखी वा अंहावेमइयाई सद्दाइं सुणेइ तंजहा - तियाणि वा, चउक्काणि वा, चच्चराणि का, चउम्मुहाणि वा अण्णयराइं वा तहप्पगाराई सद्दाइं णो अभिसंधारिन्जा गमणाए। ____ भावार्थ - साधु या साध्वी कई प्रकार के शब्द सुनते हैं जैसे कि - तिराहों में, चौको में, चौराहों पर, चतुर्मुख मार्गों में तथा इसी प्रकार के अन्य स्थानों में होने वाले शब्दों को सुनने की प्रतिज्ञा से किसी भी स्थान में जाने का मन से भी संकल्प न करे।
से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अहावेगइयाइं सदाइं सुणेइ तंजहा - महिसकरणट्ठाणाणि वा, वसभकरणट्ठाणाणि वा, अस्सकरणट्ठाणाणि वा, हत्थिकरणट्ठाणाणि वा जाव कविंजलकरणट्ठाणाणि वा, अण्णयराइं वा तहप्पगाराइं सद्दाइं णो अभिसंधारिज्जा गमणाए॥ ___भावार्थ - साधु या साध्वी कई प्रकार के शब्दों को सुनते हैं जैसे कि - भैंसशाला, वृषभशाला, घुडशाला, हस्तीशाला यावत् कपिंजल पक्षी आदि के रहने के स्थानों में होने वाले शब्दों या इसी प्रकार के अन्य शब्दों को सुनने हेतु कहीं जाने का मन में भी संकल्प न करे। .
विवेचन - मूल में यहाँ 'करण' शब्द दिया है किन्तु कहीं पर इसके बदले 'सिक्खावण' शब्द दिया है। जिसका अर्थ है शिक्षा देना-शिक्षित करना। यह अर्थ भी यहाँ पर संगत होता है।
से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अहावेगइयाई सद्दाइं सुणेइ तंजहा - महिसजुद्धाणि वा, वसभजुद्धाणि वा, अस्सजुद्धाणि वा, हत्थिजुद्धाणि वा जाव कविंजलजुद्धाणि वा अण्णयराइं वा तहप्पगाराइं णो अभिसंधारिज्जा गमणाए॥
भावार्थ - साधु या साध्वी कई प्रकार के शब्द सुनते हैं जैसे कि - जहां भैंसों के युद्ध, सांडों के युद्ध, अश्व युद्ध, हस्ति युद्ध यावत् कपिंजल युद्ध होते हैं ऐसे स्थानों या इसी प्रकार के अन्य स्थानों में होने वाले शब्दों को सुनने के प्रयोजन से जाने का मन से भी संकल्प न करे।
से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अहावेगइयाई सद्दाइं सुणेइ तंजहा -
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