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अध्ययन ७ उद्देशक २
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जहाँ वनस्पति आदि विशेष हो और गमनागमन करते समय वनस्पति का संघट्टा (स्पर्श) होने की संभावना रहती हो ऐसे आम्र आदि वनों में साधु साध्वी को नहीं ठहरना चाहिये। चूर्णिकार के मतानुसार तो किसी रोगादि कारण विशेष से औषध के कार्य हेतु वैद्यादि के निर्देश पर ऐसे स्थानों पर उतरने का प्रसंग आवे उस समय की यह स्थिति बतलाई है। लहसुन आदि के गंध से भी कई रोग आदि दूर होते हैं ऐसा आयुर्वेद का कथन है। इसलिये ऐसी परिस्थिति विशेष में ही ऐसे स्थानों में उतरने का कथन है।
से भिक्खू वा भिक्खुणी वा आगंतारेसु वा आरामागारेसु वा, गाहावइकुलेसु वा, परियावसहेसु वा, जावोग्गहियंसि जे तत्थ गाहावईण वा गाहावइपुत्ताण वा इच्चेयाइं आययणाई उवाइक्कम्म, अह भिक्खू जाणिज्जा, इमाहिं सत्तहिं पडिमाहिं उग्गहं उग्गिण्हित्तए, तत्थ खलु इमा पढमा पडिमा - से आगंतारेसु वा, आरामागारेसु वा, गाहावइकुलेसु वा, परियावसहेसु वा, अणुवीइ उग्गहं जाइज्जा जाव विहरिस्सामो पढमा पडिमा १। अहावरा दोच्चा पडिमा - जस्स णं भिक्खस्स एवं भवइ - अहं च खलु अण्णेसिं भिक्खूणं अट्ठाए उम्गहं उग्गिहिस्सामि अण्णेसिं भिक्खूणं उग्गहे उग्गहिए उवल्लिस्सामि दुच्चा पडिमा २। अहावरा तच्चा पडिमा - जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवइ - अहं च खलु अण्णेसिं भिक्खूणं अट्ठाए उग्गहं णो उग्गिहिस्सामि अण्णेसिं च उग्गहं उग्गहिए णो उवल्लिस्सामि, तच्चा पडिमा ३। अहावरा चउत्था पडिमा - जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवइ अहं च खलु अण्णेसिं भिक्खूणं अट्ठाए उग्गहं णो उग्गिहिस्सामि, अण्णेसिं च उग्गहे उग्गहिए उवल्लिस्सामि, चउत्था पडिमा ४। अहावरा पंचमा पडिमा - जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवइ अहं च खलु अप्पणो अट्ठाए उग्गहं उग्गिहिस्सामि णो दुण्हं, णो तिण्हं, णो चउण्हं, जो पंचण्हं, पंचमा पडिमा ५। अहावरा छट्ठा पडिमा - से भिक्खू वा भिक्खुणी वा जस्स एवं भवइ जस्स अगहे उवल्लिङ्गज्जा जे तत्थ अहासमण्णागए इक्कड़े वा जाव पलाले वा तस्स लाभे संवसिज्जा, तस्स अलाभे उक्कुडुओ वा णेसज्जिओ वा
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