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चतुर्थ सप्तिका शब्द सप्तक नामक ग्यारहवां अध्ययन
से भिक्खू वा भिक्खुणी वा मुइंगसहाणि वा, णंदीसहाणि वा, झल्लरीसद्दाणि वा, अण्णयराणि वा, तहप्पगाराई विरूवरूवाइं वितताई सद्दाई कण्णसोयणपडियाए (कण्णसोयपडियाए) णो अभिसंधारिज्जा गमणाए॥
कठिन शब्दार्थ-मुइंगसहाणि - मृदंग के शब्द, वितताई - वितत-विस्तृत, कण्णसोयणपडियाए- कान से सुनने की प्रतिज्ञा से।
भावार्थ - साधु या साध्वी मृदंग शब्द, नंदी शब्द या झल्लरी (झालर) के शब्द तथा इसी प्रकार के अन्य वितत शब्दों को कान से सुनने के उद्देश्य से कहीं जाने का मन में संकल्प न करे।
विवेचन - वितत शब्द यानी तार रहित बाजों (वाद्यों) से होने वाला शब्द जैसे मृदंग, नंदी और झालर आदि के स्वर सुनने की लालसा से साधु साध्वी कहीं नहीं जाये।
से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अहावेगइयाइं सद्दाइं सुणेइ तंजहा - वीणासदाणि वा, विपंचीसहाणि वा, पिप्पीसग( बद्धीसग )सद्दाणि वा, तूणयसहाणि वा, पणयसहाणि वा, तुंबवीणियसदाणि वा, ढंकुणसद्दाणि वा अण्णयराइं वा तहप्पगाराई विरूवरूवाई सद्दाई तताई कण्णसोयणपडियाए णो अभिसंधारिज्जा गमणाए॥
कठिन शब्दार्थ - तूणयसहाणि - तुनतुने के शब्द, पणयसदाणि - पणक (तंतु वाद्य) के शब्द, तुम्बवीणियसहाणि - तम्बूरे के शब्द, ढंकुणसहाणि - ढंकुण (वाद्य विशेष) के शब्द।
भावार्थ - साधु या साध्वी कई शब्दों को सुनते हैं अर्थात् अनायास कानों में पड़ जाते हैं जैसे कि वीणा के शब्द, विपंची के शब्द, बद्धीसक के शब्द, तूनक के शब्द, पणक के शब्द, तुम्बवीणा के शब्द अथवा ढंकुण के शब्द या इसी प्रकार के विविध शब्दों को सुनने के लिये किसी भी स्थान पर जाने का मन में संकल्प न करे।
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