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उपर्युक्त वक्तव्य से, यह चात, गट है कि लगभग चार वर्ष के वीर्य काल यह मंत्र उपका प्रकाशित हो रहा है। समय पर भिन्न २ महाशयों द्वारा संप है । तथापि पूरा मंथ छपर जाने पर अनुवादक महाशयने इसका आदि अंत अपोहनकरी २ अशुद्धियां थीं उनकी शद्धि तथा जिन श्लोकों का अनुवाद ही गलत हुआ था उनका हा अनुवाद लिख दिया, जो साथमें प्रकाशित है । पाठक उसके अनुसार यथास्थान संशोधन करके फि
ग्रंथका स्वाध्याय करे।
इस ग्रंथ के विषय और अनुवाद के सम्बन्धमें हम और तो कुछ जरूर कहेंगे कि अनुवादक महाशयने बड़े परिश्रम के साथ सरल भाषा इसमें जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत तीनों वर्णोंका आचरण और क्रियाओं खुलाशा वर्णन दिया है | अतः यदि विवादस्थ वातोंको, थोड़ी देरके लिये, हम एक साफ रहने दें, तौभी यह ग्रंथ गृहस्थ के लिये बहुत ही उपयोगी, एवं प्रत्येक जैनी पहने योग्य है।
अंत में हम अनुवादक महाशयको धन्यवाद दिये विना नहीं कह सकते, जिन्होंने हमारी प्रार्थना स्वीकार कर इस ग्रंथका अनुवाद कर दिया । चिना आपकी सहायता हम इस प्रकाशित करनेमें असमर्थ रहते ।
घ ता० २४-११-२४ ई०
नहीं सकते है
का अनुवाद किया है।
बहन बिताले माय
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निवेदकबिहारीलाल कटने जैन ।