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सौमसेनभट्टारकविरचित
ॐ ही श्री क्लीं ऐं अहं जगतां सर्वशान्ति कुर्वन्तु श्रीपीठे . प्रतिमास्थापनम् करोमि स्वाहा ॥ श्रीपीठे प्रतिमास्थापनम् ॥१०॥ यह मंत्र पढ़कर श्रीपीठपर प्रतिमा स्थापन करै ।। १०॥ ॐ ही अहं नमः परमेष्ठिभ्यः स्वाहा ।। ॐ हीं अहं नमः परमात्मकेभ्यः स्वाहा ॥ ॐ ही अहं नमोऽनादिनिधनेभ्यः स्वाहा ॥ ॐ ही अहँ नमो नृसुरासुरपूजितेभ्यः स्वाहा ॥ ॐ हाँ अहं नमोऽनन्तज्ञानेभ्यः स्वाहा ॥ ॐ ही अहं नमोऽनन्तदर्शनेभ्यः स्वाहा ॥ ॐ---हाँ अहं नमोऽनन्तवीर्येभ्यः स्वाहा ॥ ॐ ही अहँ नमोऽनन्तसौख्येभ्यः स्वाहा इत्यष्टभिर्मन्त्रैः प्रतिमार्चनम् ॥ ११ ॥ इन आठ मंत्रोंका उच्चारण कर प्रतिमाकी पूजा करना चाहिए ॥ ११ ॥
ॐ ही धर्मचक्रायाप्रतिहततेजसे स्वाहा ॥ चक्रंत्रयार्चनम् ।। १२ ।। इस मंत्रको पढ़कर तीनों चक्रोंकी पूजा करै ।। १२ ।।
ॐ ही श्वेतच्छत्रनयश्रियै स्वाहा ॥. छत्रत्रयपूजा ॥ १३ ॥ इस मंत्रका उच्चारण कर छत्र त्रयकी पूजा करै ॥ १३ ॥ ॐ ही श्री क्लीं ऐं अहं सौं गौं सर्वशास्त्रप्रकाशिनि वदवदवाग्वादिनि अवतर अवतर । अन तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः । संनिहिता भव भव वषट् । क्लू नमः सरस्वत्यै जलं निर्यपामि स्वाहा ॥ एवं गन्धाक्षतपुष्पचरुदीपधूपफलवस्त्राभरणादिकम् । प्रतिमागे सरस्वतीपूजा ॥१४॥
ॐ ही श्री इत्यादि मंत्र पढ़कर सरस्वतीका आव्हान स्थापन और सन्निधिकरण करै "क्यूँ" इत्यादि पढ़कर जल गन्ध अक्षत पुष्प नैवेद्य दीप धूप फल और वस्त्राभरणादिकसे प्रतिमाके सामने सरस्वतीकी पूजा करे ॥ १४ ॥
ॐही सम्यग्दर्शनज्ञानचारित्रपवित्रतरगात्रचतुरशीतिलक्षणगुणाष्टादशसहस्रशीलधरगणधरचरणाः आगच्छत आगच्छत संवौपाट् ॥ इत्यादि गुरुपादुकापूजा ॥१५॥। .