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योग्य स्थानमें लौकिक अमिको रखकर उसमें शास्त्रों में बताये हुए द्रव्योंका हवनकर संस्कार करना सो औपासन अमि है । भावार्थ-कुंडमै अथवा मिट्टीके चौकोन चबूतरेपर लौकिक अमिको "स्थापन करें, उसमें शास्त्रों में बताये हुए द्रव्योंका हवन करें। ऐसा करनेसे लौकिक अमि औपासन '. अमि हो जाती है ॥ १३१ ॥
संतापानि । दभैंर्दभैरिति पञ्चकृत्वा सन्तापयेत्ततः ।
काष्ठौधैर्बोधितो वन्हिः सन्तापाग्निरितीरितः ॥ १३२ ॥ प्रथम अमिको पांच वार दर्भ डालं डालकर संतापित करे, अनन्तर उसे लकड़ियों में लगाकर प्रज्वलित करे; इसीको संतापानि कहते हैं ॥ १३२ ॥
अन्वनि । चुल्यामग्निं समुज्वाल्य न्यस्य स्थाली तदूधवर्तः। ..
तत्र स्थितैः करीपाद्यैर्वाधितोऽन्वग्निरिष्यते ॥ १३३ ॥ चूल्हेमें अग्नि जलाकर, उसे किसी पात्र में रखकर ऊपरसे कंडे आदि रखकर जलाना अन्वनि है। भावार्थ-चुल्हेकी अग्निको मिट्टीकी हांडि या अन्य किसी वर्तनमें रखकर उसके ऊपर कंडे जलाना सो अन्वनि है ।। १३३ ॥
तत्तच्छरीरसंस्कारे यस्तु योग्य इतीप्यते ।
अनि तमेव काष्ठाद्यैरुखायां प्रतिवोधयेत् ।। १३४ ॥ जिन जिन शरीरोंके संस्कारमें जो जो अमि योग्य कही गई है उसी उसी अमिको होडिमें काष्ट आदिसे प्रज्वलित करे ॥ १३४ ॥
वोढारश्चाथ. चत्वारः कल्पनीयाः सजातयः ।
त एव योज्या भूपायां वाहे दाहे शवस्य हि ॥ १३५ ॥ · मृतक शरीरको उठाकर ले जानेवाले चार सजाति पुरुष होना चाहिए। वे ही चारों उस मृतक शरीरको स्नान करावें, आभूषण पहनावें, उठाकर ले जावें और चितामें रख कर जलाने ॥ १३५ ॥
शोभमाने विमाने च शाययित्वा शवं दृढम् । मुखाद्यङ्गं समाच्छाद्य वस्त्रैः संग्भिस्तदूर्ध्वतः ॥ १३६ ॥ . तद्विमानं समाधृत्य शनैामाभिमस्तकः ।
वोढारस्ते नयेयुस्तं नयेदेक उखानलम् ॥ १३७ ॥ विमानस्य पुरोदेशे गच्छेयुतियस्ततः ।
शवानुगमनं कुर्युः शेषाः सर्वे स्त्रियोऽपि च ॥ १३८ ॥
अच्छा विमान (ठठरी) बनाकर उसमें शवको मजबूतीके साथ सुलावें। उसके मुखं आदि .. सब अंगको वस्त्रसे ढांकें । अपर पुष्पमालाएं लपेटें | चार जने उस विमानको धीरेसे उठाकर कंधेपर