________________
विषयानुक्रमणिका
प्रथमाधिकार
श्लोक संख्या
मंगलाचरण ग्रन्थकार की प्रतिज्ञा मोक्षमार्ग का स्वरूप रत्नत्रय का लक्षण तत्त्वों के कहने का हेतु यथार्थ तत्त्वों के नाम हेयोपादेय तत्त्वों का कथन निक्षेपों द्वारा शब्दों के अर्थ समझने की विधा नाम निक्षेप का लक्षण स्थापना निक्षेप का लक्षण द्रव्य निक्षेप का लक्षण भाव निक्षेप का लक्षण तत्त्व निश्चय के साधन प्रमाण का लक्षण व भेद परोक्ष ज्ञान का लक्षण सम्यक् प्रत्यक्ष प्रमाण का लक्षण सम्यग्ज्ञान का स्वरूप व मूलभेद मतिज्ञान के कारण मतिज्ञान के भेद व विषय श्रुतज्ञान का स्वरूप अवधिज्ञान का स्वरूप तथा भेद मन:पर्यय ज्ञान का लक्षण और भेद अवधि और मन:पर्ययज्ञान की पारस्परिक विशेषता केवलज्ञान का लक्षण पाँचों ज्ञानों का विषय विभाग
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org