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राजमहल की ड्यौड़ी में अत्यधिक धुप्रॉ करवा दिया।
जब वह व्यक्ति चन्द्रगुप्त के थाल मे भोजन करके ड्योढी पर आया तो धुए के कारण उसके नेत्रो से इतना अधिक जल निकला कि उसके नेत्रो का अजन धुल गया और वह सबको दिखाई देने लगा। अब तो द्वारपालो ने उसको गिरफ्तार करके राजदण्ड दिलवा दिया। ___इस प्रकार की ऐसी अनेक विद्याओ का पता हमको उस सोलह महाजनपदकाल मे मिलता है, जिनका आज नाम के अतिरिक्त कही अस्तित्व नही मिलता और हम उन विद्यालो के सम्बंध मे यह मान बैठे है कि वह उन दिनो के ग्रन्थो की केवल कपोलकल्पना है।
वैद्य जीवक-प्रसिद्ध चिकित्सक जीवक भी राजा बिम्बसार का समकालीन था। उसने शालवती नामक एक वेश्या के उदर से जन्म लिया था। माता के द्वारा जन्म लेते ही त्याग दिये जाने के कारण उसे मगध के युवराज अभयकुमार ने अपना लिया और पाल-पोसकर बडा किया। अभयकुमार ने जीवक को उत्तम शिक्षा देकर उच्चतम शिक्षा प्राप्त करने के लिये तक्षशिला भेजा। तक्षशिला मे जीवक ने आयुर्वेद का खूब अध्ययन किया और उसकी कौमारभृत्य शाखा मे विशेष निपुणता प्राप्त की। जीवक अपना विद्याध्ययन समाप्त करके वापिस मगध लौटा। आगे चल कर उसने वैद्यक मे अत्यधिक ख्याति प्राप्त की। बौद्ध साहित्य मे जीवक के चिकित्सासम्बन्धी चमत्कारो का वर्णन अनेक स्थानो पर किया गया है।
कोशल, मगध, वत्स तथा अवन्ति की होड़-यह पीछे बतला दिया गया है कि सर्वप्रथम ईसा पूर्व सातवी शताब्दी के प्रारम्भ मे काशी महाजनपद ने अपना एक बड़ा साम्राज्य बना लिया। काशी के बाद कोशल ने उन्नति करनी आरंभ की। दोनो मे अनेक बार युद्ध हुआ। अन्त मे कोशल के एक राजा महाकोशल ने ईसा पूर्व ६२५ के लगभग काशी को जीतकर अपने राज्य में मिला लिया। उसका पुत्र प्रसेनजित् बिम्बसार तथा बुद्ध का समकालीन था। उसने तक्षशिला मे विद्याध्ययन किया था। ___ कोशल, मगध, अवन्ति तथा वत्स की होड में सर्वप्रथम अवन्ति ने अपना हाथ बढ़ाना आरम्भ किया। अवन्ति के राजसिहासन पर इस समय प्रद्योत था,