________________
अभयकुमार का अन्वेषण -wmmmmmmmmmmmmm . आदि अनेक प्रकार के फल थे । लडको के साथ आज अभयकुमार भी खेलने आ गये थे। उन्होने खेल के बाद प्रस्ताव किया कि जामन के वृक्षो पर चढ कर पकी-पकी जामुने खाई जावे । अतएव सभी लडके बात की बात मे जामुनो के वृक्षो पर जा चढे । एक वृक्ष पर अभयकुमार भी जा चढे और पकी-पकी जामुने तोड-तोड कर खाने लगे। जिस समय बालक जामुन क वृक्षो पर चढे जामन खा रहे थे तो सम्राट् के भेजे हुए राज-पुरुष भी वहा पहुँच गए । लडको को वृक्षो पर चढे देखकर उनका मन भी जामुन खाने को ललचाने लगा । मार्ग की थकावट के कारण उस समय उनको भूख भी सता रही थी। अतएव उन्होने सोचा कि कुछ फल खाकर ही भूख को शान्त किया जावे । अभयकुमार ने जो कुछ राजसेवको को आते देखा तो सबं लडको को सुना कर कहा___"देखो भाई । यह राजसेवक अपनी ओर आ रहे है। इनके साथ आप में से कोई भी बातचीत न करे । जो कुछ जवाब-सवाल होगा वह मै ही इनके साथ करूँगा।"
तब तक वह राजसेवक भी उन वृक्षो के नीचे आ पहुंचे। उन्होने लडको से कहा
"क्यो भाई | आप लोग कुछ जामुन हमको भी देगे ?" अभयकुमार ने कह तो दिया कि"क्यो नही ?"
किन्तु वह मन में सोचने लगे कि 'यदि इनको योही फल दे दिये जायेगे तो कुछ भी आनद नही आवेगा। अतएव उनको छका कर फल देना ठीक. होगा।' यह सोच कर उन्होने राजसेवको से कहा
"फल तो आप चाहे जितने खा सकते है, किन्तु यह बतलाइये कि आप गरम फल खायेगे या ठण्डे ? क्योकि मेरे पास दोनो प्रकार के फल है।"
इस पर राजपुरुष बोले"हम गरम-गरम फल खावेगे।" अभयकुमार ने अब उनको पकी-पकी जामो तोड कर तथा मल-मल