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श्रेणिक बिम्बसार वर्षकार—आर्य भद्रसेन का कथन यथार्थ है । उनको अब सेनापति-पद से मुक्ति दे देनी चाहिये । यदि युवराज अभयकुमार की अधीनता में श्रेष्ठिपुत्र जम्बूकुमार को प्रधान सेनापति बनाया जावे तो कोई हानि नही है।
सम्राट-अच्छा, भद्रसेन जी । आपको सेनापति-पद से मुक्ति दी जाती है, आप जम्बू कुमार को हमारे सामने उपस्थित करे।
भद्रसेन-जम्बू कुमार यहा सभा मे ही उपस्थित है सम्राट् ।
सम्राट् से यह कहकर भद्रसेन जी ने जम्बुकुमार की ओर देखा। जम्बूकुमार उनके सकेत को समझ कर अपने स्थान से उठकर सम्राट् के पास प्राया। वह सम्राट् के चरणो मे प्रणाम करके उनके सम्मुख खडा हो गया। उसको देखकर सम्राट् कहने लगे -
"क्यो जम्बकुमार ! तुम मगध जनपद के प्रधान सेनापति-पद के उत्तरदायित्व को वहन कर सकोगे ?"
जम्बूकुमार-सम्राट् की कृपा की सहायता से सभी कुछ किया जा सकता है देव ।
सम्राट-अच्छा, हम तुम को मगध जनपद के प्रधान सेनापति-पद पर नियुक्त करते है। तुम को युवराज अभयकुमार के निर्देश में कार्य करना होगा। यह प्रधान सेनापति-पद का खड्ग है। तुम इसको ग्रहण करके इस पद की शपथ लो।
___ इस पर जम्बू कुमार ने उस तलवार को अभिवादन करके अपने हाथ मे लेकर उसका चुम्बन किया। फिर उन्होने इस प्रकार शपथ ली
'मै सेठ अर्हदास का पुत्र जम्बू कुमार इस बात की शपथ लेता हू कि मगध राज्य के प्रधान सेनापति-पद के उत्तरदायित्व का पूर्ण निष्ठा के साथ पालन करूंगा और सम्राट् श्रेणिक बिम्बसार तथा उनके उत्तराधिकारियो की प्रत्येक प्राज्ञा का पालन करूंगा।"
इसके पश्चात् सम्राट् ने जम्बू कुमार के वस्त्र पर प्रधान सेनापति का पदको लगा कर उसको राजसभा मे प्रधान सेनापति के लिये नियत स्थान पर बिठलाया ।