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बिम्बसार का परिवार क्यो भाई धनदत्त । यह की बात हुई ? राजा श्रेणिक तो गौतम बुद्ध के बड़े भारी भक्त थे, अब वह जैनी कैसे बन गये ?"
धनदत्त- 'भाई, कुवेरदत्त । मुझे भी यही आश्चर्य है। जब गौतम बुद्ध तप की अवस्था मे सम्राट के पास आये थे तो सम्राट् उनको अपना समस्त राजपाट देने को तैयार थे और जब वह बुद्ध बनकर आये तो वह उनके श्रद्धालु बन गये, किन्तु उनकी बौद्ध धर्म की वह समस्त श्रद्धा अब एकदम जैन धर्म की ओर चली गई। क्यो भाई पुष्पदन्त, तुम्हारा इस विषय मे क्या विचार है ?"
पुष्पदन्त-इसमे विचार कैसा? यह सारी करापात उसी जैन रानी की है, जिसे युवराज अभयकुमार वैशाली से भगा लाये थे।
कुवेरदत्त-महारानी के विषय मे ऐसा मत कहो भाई। वह ऐसी गुणवती है कि सारी प्रजा उस पर अपनी जान तक देने को तैयार है। यद्यपि जनता उसको विदेह कुमारी समझती है, किन्तु वास्तव में वह प्रतापी लिच्छवी कुल मे उत्पन्न वैशाली के गणतत्र के प्रधान राजा चेटक की सबसे छोटी कन्या है।
धनदत्त-इतना ही नही। कौशाम्बीपति उदयन, चम्पापति दृढवर्मा, नाथवशशिरोमणि भगवान् महावीर जैसे विश्वविख्यात व्यक्ति उसके भानजे है।
पुष्पदन्त-किन्तु महारानी चेलना को वैदेही रानी क्यो कहा जाता है ?
धनदत्त-यह तो सीधी सी बात है। वज्जी गणतत्र के अष्टकुल मे मिथिला का विदेह गण भी सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त जिस स्थान पर आज बज्जियो की राजधानी वैशाली बसी हुई है वह कभी पहिले मिथिला राज्य का भाग थी। इसलिये रानी चेलना को वैदेही रानी भी कहा जाता है।
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