Book Title: Shrenik Bimbsr
Author(s): Chandrashekhar Shastri
Publisher: Rigal Book Depo

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Page 284
________________ सिंहल नरेश से युद्ध कुमार जम्बूस्वामी विमान पर बैठे हुए आकाश के मार्ग से चले जाते थे और मार्ग के खेत, वन, पर्वत तथा अनेक देश शीघ्रतापूर्वक उनके नीचे भागते हुए दिखलाई देते थे। व्योमगति का विमान पवन के समान शीघ्रता से उड रहा था और जम्बूस्वामी तथा व्योमगति दोनों आकाश की शोभा देख रहे थे। विमान दोपहर पीछे उसी दिन केरल जा पहुचा। जिस समय ये लोग वहां पहुचे तो नगर में सेना का शब्द हो रहा था । यह देखकर जम्बूस्वामी बोले "यह कोलाहल कैसा है आर्य ?" इस पर व्योमगति ने उत्तर दिया "इस स्थान पर आपके शत्रु राजा रत्नचूल की सेवा का शिविर है। यह उसी सेना का शब्द है। उसकी सेना बड़ी प्रचण्ड है, जिसमे अनेक विद्याधर भी है । उसको जीतना सुगम नही है।" यह सुनकर कुमार बोले "पाप विमान को यहां ठहराइये । मै तनिक रत्नचूल से स्वय मिलना चाहता हूं।" कुमार के यह कहने पर व्योमगति ने विमान को वही भूमि पर उतार दिया । जम्बूकुमार को भूमि पर उतार कर व्योमगति फिर विमान को आकाश में ले गया। इधर जम्बूकुमार विमान से उतर कर निर्भय होकर शत्रु-सेना की ओर चले और उसमें प्रवेश कर कौतुक से उसे देखने लगे। सेना के योद्धा कामदेव के समान सुन्दर कुमार को देखकर आश्चर्य करने लगे कि यह कौन है। किन्तु उनको कुमार से बात करने का साहस न हुआ । कुमार उनके बीच

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