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श्रेणिक बिम्बसार
पराग मौजूद है। जिस प्रकार कमल में कली होती है उसी प्रकार इस जम्बू द्वीप में भी सुमेरु पर्वतरूपी कली बनी हुई है। जिस प्रकार कमल मे मृणाल होता है, उसी प्रकार इस जम्बू द्वीप मे भी शेषनागरूपी मृणाल लगा हुआ है। जिस प्रकार कमल पर भ्रमर रहते है उसी प्रकार इस जम्बू द्वीप मे भी मनुष्यरूपी भ्रमर इसके ऊपर गूंजते रहते है। यह जम्बू द्वीप दूध के समान उत्तम निर्मल जल से भरे हुए तालाबों से जीवो को नाना प्रकार के अनेक आनन्द प्रदान करने वाला है । यह जम्बू द्वीप राजा के समान जान पडता है। क्योकि जिस प्रकार राजा अनेक बडे-बडे राजाओ से सेवित होता है उसी प्रकार यह द्वीप भी अनेक प्रकार के महीधरो अर्थात् पर्वतो से सेवित है। जिस प्रकार राजा कुलीन वश का होता है उसी प्रकार यह जम्बू द्वीप भी कुलीन अर्थात् (कु) पृथ्वी मे लीन है । जिस प्रकार राजा शुभ स्थिति वाला होता है उसी प्रकार यह जम्बू द्वीप भी अच्छी तरह स्थित है । जिस प्रकार राजा महादेशी अर्थात् बडेबडे देशो का स्वामी होता है, उसी प्रकार यह जम्बू द्वीप भी महादेशी अर्थात् विस्तीर्ण है। जिस प्रकार लोक अलोक का मध्यभाग है, उसी प्रकार यह जम्बू द्वीप भी समस्त द्वीपो तथा तीन लोक के मध्य भाग में है।
"इस जम्बू द्वीप के मध्य में अनेक शोभानो से शोभित, गले हुए सोने के समान देह वाला, देदीप्यमान, अनेक प्रकार की कान्ति वाला सुमेरु पर्वत है। उस मेरु पर्वत की दक्षिण दिशा में उत्तम धान्यो को उपजाने वाला, मनोहर, अनेक प्रकार की विद्यालो से पूर्ण, सुखो का स्थान भरत क्षेत्र है। यह भरत क्षेत्र साक्षात् धनुष के समान है। जिस प्रकार धनुष मे बाण होते है उसी प्रकार इसमे गगा तथा सिन्धु नदी के रूप में दो बाण है। यह भरत क्षेत्र अनेक प्रकार के बडे-बड़े देशों से व्याप्त, पुर तथा ग्रामो से सुशोभित, अनेक मुनियों से पूर्ण, पुण्य की उत्पत्ति का स्थान तथा अत्यन्त शोभायमान है। जिस प्रकार शरीर के मध्य मे नाभि होती है उसी प्रकार इस भारतवर्ष के मध्य मे मगध नामक एक देश है। उस मगध देश में अनेक ऐसे ग्राम पास-पास बसे हुए हैं, जो धन-धान्य तथा गुणी मनुष्यो से व्याप्त लथा सम्पत्तिमान् है । २१६