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वैशाली तथा मगध की संधि
सुमन ने उनके पास आकर उनसे कहा
“देव । मगध सेना से श्वेतपताकाधारी नौका पर कुछ सैनिक आये है । वह कहते है कि वह मगध की राजमहिषी महारानी चेलना देवी का एक सदेश आपको देना चाहते है । मेरी सम्मति मे तो उनको यहा बुलवा कर उनका सदेश सुन लेना चाहिये ।"
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राजा चेटक - किन्तु महाबलाधिकृत ! यह कैसा आश्चर्यदायक समाचार है । बेटी चेलना वैशाली के राजमहल से गायब होकर मगध की राजमहिष किस प्रकार बन गई ?
सुमन - तभी तो मेरी सम्मति है कि उनके सदेश को उन्हे बुलाकर सुन लिया जावे।
राजा - अच्छा, उनको बुलवाओ, किंतु आप महाबलाधिकृत, अभी यही रहे !
यह कहकर राजा ने श्वेतपताकाधारी नौका के पाँचो मगध सैनिको को अपने पास बुलाने के लिये एक सैनिक भेजा । सैनिक द्वारा यह सदेश पाते ही अपनी नौका से उतरकर - पाचो मगध-सैनिक गंगा के तट पर चढ गये । उन्होने राजा चेटक के शिविर मे पहुचकर उनको सैनिक ढंग से अभिवादन किया । तब राजा चेटक बोले
"आप लोग हमसे क्या कहना चाहते है ?"
एक सैनिक — देव । ममध की राजमहिषी एवं आपकी पुत्री महारानी है कि उनको आपके दर्शनो
चेलना देवी ने आपसे हाथ जोडकर निवेदन किया
बैठकर भागीरथी की मध्य
बिम्बसार के साथ वहा
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की बडी भारी इच्छा है । यदि आप एक नौका पर धारा मे आ जावे तो महारानी भी अपने पति सम्राट् आकर आपके दर्शन करने को तैयार है ।
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इस पर राजा चेटक बोले
"आप लोग थोडी देर तक बगल के डेरे में ठहरें। आपको अभी उत्तर मिलेगा ।"
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