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श्रेणिक बिम्बसार
कमरे मे सोते-सोते ही गायब हो गई। इस सबध में अनेक प्रकार की किंवदन्तिया सुनी जाती थी। कुछ का कहना था कि उसके रूप पर आसक्त होकर गन्धर्वराज ने उसका अपहरण किया है। कुछ का कहना था कि स्वय देवराज इन्द्र उसको गुप्त रूप से उसके पलग समेत उठा कर ले गये है। इस प्रकार उस के सबध मे जितने मुह उतनी बाते सुनने मे आती थी, कितु आज मगध-सैनिकों के मुख से 'लिच्छवी कुमारी महारानी चेलना देवी की जय' सुनकर उनको पता चल गया कि उनके गणपति की पुत्री अब प्रतापी मगधराज की पटरानी है। अतएव अब उनके मन मे यह तर्क-वितर्क होने लगा कि क्या उनका मगध के विरुद्ध शस्त्र उठाना उचित होगा। इसी सोच-विचार के कारण उनके ऊपर उठने वाले शस्त्र अपने आप ही नीचे को झुक गये। ___ इसी समय मगध-सेना की ओर से एक तेज नौका सफेद पताका उडाती हुई लिच्छवी सेना की ओर जाती हुई दिखलाई दी। इस नौका को देखकर दोनो सेनाए अत्यधिक आश्चर्य मे पड गई। इस नौका को अपनी ओर आते देखकर लिच्छवियो ने तुरन्त उसको मार्ग दे दिया। उसी समय लिच्छवी सेना के महाबलाधिकृत का युद्धपोत सामने दिखलाई दिया। श्वेत पताका वाली नौका को उनके युद्धपोत पर पहुचाया गया। उस नौका मे पाच मगध सैनिक थे । बज्जीगणतत्र के महबलाधिकृत के सामने जाने पर उनमे इस प्रकार वार्तालाप हुआ।
महाबलाधिकृत-आपका श्वेत पताका उडाते हुए हमारी सेना में आने का क्या उद्देश्य है ?
एक सैनिक-महोदय, हम मगध की पट्ट राजमहिषी महारानी चेलना देवी का एक सदेश लाये है, जिसे हम उनके पिता गणपति महाराज चेटक को ही देना चाहते है। ___ महाबलाधिकृत-अच्छा, आप लोग थोडा अपनी नौका पर ठहरे। इसका प्रबध अभी किया जाता है। ___ यह कहकर महाबलाधिकृत सुमन स्वय अपने युद्धपोत से उतरकर गगा तट पर आये । गणपति राजा चेटक का शिविर पास ही था। महाबलाधिकृत २२२