________________
चलना से विवाह
वहाँ अत्यन्त निर्मल जल से भरे हुए, काले-काले हाथियो से व्याप्त अनेक सरोवर ऐसे दिखलाई देते है, मानो स्वय मेघ ही आकर उनकी सेवा कर रहे है । वहाँ के तालाब साक्षात कृष्ण के समान मालूम होते है । जिस प्रकार, श्रीकृष्ण कमलाकर—कमला (लक्ष्मी) के प्राकर (खान) है, उसी प्रकार तालाब भी कमलो के आकर (खान) है । उस मगध देश मे राजघरो मे सुशोभित, अनेक प्रकार की शोभा वाला, धन्य-धान्य से पूर्ण, अनेक जनो से व्याप्त राजगृह नामक एक नगर है । वहाँ न तो अज्ञानी पुरुष है, न शीलरहित स्त्रियाँ हैं और न निर्धन पुरुषो का निवासस्थान है । वहाँ के पुरुष कुवेर के समान ऋद्धि के धारण करने वाले तथा स्त्रियाँ देवागनाओ के समान है । वहा स्वर्ग के विमानो के समान सुवर्ण के अनेक घर बने हुए है । वह राजगृह नगर बडेबडे सुवर्णमय कलशो से शोभित है । उसमे अनेक ऐसे ऊँचे-ऊंचे सौध है जो अपनी ऊँचाई से आकाश का स्पर्श करने वाले तथा देदीप्यमान है । वहाँ की भूमि अनेक प्रकार के फलो से मनुष्यो के चित्त को सदा श्रानन्दित करती रहती है । उस मगध देश तथा राजगृह नगर के स्वामी महाराज श्रेणिक बिम्बसार है । वह प्रजा का नीतिपूर्वक पालन किया करते है । राजा श्रेणिक जैन धर्म के परम भक्त है। अभी उनकी आयु छोटी है, किन्तु तो भी वह अनेक गुणो के भडार है । वह रूप में कामदेव के समान, वल मे विष्णु के समान तथा ऐश्वर्य में इन्द्र के समान है । हे राजकन्याओ । हम लोग उन्ही के नगर के रहने वाले व्यापारी है । हमने अपनी छोटी-सी आयु मे इस भूमण्डल की चारो दिशाओ की यात्रा की है। हम सभी कलाओ के अच्छे जानकार है । भूमण्डल भर में हमने अनेक राजाओ को देखा, किन्तु जैसी जिनेन्द्र की भक्ति, सत्य, गुरण, तेज हमने महाराज श्रेणिक में देखा वैसा कही नही देखा । उनके प्रताप से उनके सभी शत्रु अपने-अपने मनोरम नगरो को छोड़-छोड कर वन में रहने लगे । राजा श्रेणिक के जैसा कोषबल भी आज भारत के किसी अन्य राजा के पास नही है । उनके समान धर्मात्मा, गुरणी तथा प्रतापी इस पृथ्वी पर दूसरा राजा नही है । हमको यह सौभाग्य प्राप्त है कि हम उन महाराज
२१७