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मंगध के दो राजनीतिज्ञ
सर्पिणी का अपहरण किया जा सकता है ? क्या सिंह की मांद मे जाकर उसके बच्चे को पकडा जा सकता है ? वैशाली नगर की रक्षा के प्रबध से मै भली प्रकार परिचित हूँ युवराज । मै कई बार वेष बदल-बदल कर वहाँ के दुर्ग तथा रक्षा-मार्गों को अपनी आँखो से देख चुका हू । कैसा ही चतुर व्यक्ति भी उनसे बचकर सकुशल बाहर नही निकल सकता युवराज ।"
अभयकुमार-किन्तु महामात्य | मै तो उनका स्पर्श भी करना नही चाहता । मै तो इस कार्य के लिये नया ही सुरग मार्ग बनवाना चाहता हूँ।
अभयकुमार की इस बात को सुनकर महामात्य बहुत प्रसन्न हुए और कहने लगे___ "हाँ, यह आपने वास्तव मे मौलिक सूझ की बात कही। अच्छा, इस कार्य के लिये वैशाली किसको भेजा जावे ?"
अभयकुमार-मै समझता हूं कि इस कार्य को मेरे अतिरिक्त और कोई भी सपादन नही कर सकता।
महामात्य-यह कैसी बात कहते हो युवराज | इस बात के लिये तुम अपने प्राणो को सकट मे डालोगे ?
अभयकुमार-मेरे प्राणो पर सकट नही आ सकता महामात्य । मै रत्नो के एक जैन व्यापारी का वेष बनाकर वैशाली जाऊँगा और वहा सबको अपने वश मे करके राजकुमारी को सुरग के मार्ग से ले आऊँगा। आप अभी से एक ऐसी सुरग बनवाना आरंभ कर दे जो गगा के इस पार से होती हुई वैशाली के उस मकान मे समाप्त हो, जिसको मै वैशाली मे अपने रहने के लिये ठीक करू।
महामात्य-अब मै समझा । युवराज | आपकी योजना ठीक है और इस प्रकार इस योजना द्वारा हम न केवल सम्राट को चिन्तामुक्त कर सकेंगे, वरन् वैशाली की शत्रुता को भी मित्रता के रूप में परिणत कर सकेंगे। मै आपका इस योजना के लिये बधाई देता है। किन्तु आपको इस योजना मे अत्यन्त सावधान रहने की आवश्यकता है, क्योकि तनिक सी असावधानी होने पर ही प्राणों पर सकट आ जाना निश्चित है।
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