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श्रणिक बिम्बसार जाने के बहाने से अपना अश्व तैयार कराया और चलने के लिये तैयार हो गया। उसने विचार किया कि यदि अधिक सामान लिया गया तो लोगों को भागने का सदेह हो जावेगा। अतएव वह केवल एक चेलना के चित्र को लेकर वैशाली से भाग चला।
रात्रि के समय जब राजा चेटक उद्यान से घूम कर वापिस लौटे तो उन्होने अपने उन सेवको को एकान्त मे बुलाकर उनमे से भद्राश्व से कहा
"क्यो भद्राश्व | क्या तुमने भरत को मार डाला ?" इस पर भद्राश्व बोला
"देव । भरत आज दोपहर से ही न जाने कहा भाग गया । हमने उसको सब जगह ढू ढा, किन्तु हमको उसका कही भी पता नही मिला।"
"तब तो यह समझना चाहिये कि वह वैशाली से भाग गया ?" "निश्चय से महाराज ! क्या उसका पीछा किया जावे ?"
"नही पीछा करने की आवश्यकता नही है। हमको तो उससे अपना पीछा छडाना था। यदि इस प्रकार यहा से चला गया तो यह और भी अच्छा हुआ।"