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राज्यारोहण
फर इन्हे युवराज बनाया, किन्तु बाद मे चिलाती की माता से वचनबद्ध होने के कारण इनको देश-निकाला दे दिया । - इन महानुभाव का हृदय इतना विशाल है कि इन्होने मगध के पिछले अपराध पर फिर भी ध्यान न देकर उसकी आर्त पुकार पर तुरन्त ध्यान दिया। इनकी सगठन-शक्ति तथा प्रजापालन मे तत्परता का यह ज्वलत प्रमाण है कि इन्होने रक्त की एक भी बुद बहाए बिना रातोरात मगध के शासन-तन्त्र पर अधिकार कर लिया। इन्होने यह पहिले ही निश्चय कर लिया था कि चिलाती को न तो जान से मारा जावे
और न गिरफ्तार किया जावे, वरन् उसे भाग जाने का पूरा अवसर दिया जावे। किन्तु उसने अपने अत्याचारों से अपने अनेक शत्रु बना लिये थे। इसीलिये जब चोर दरवाजे से निकल कर वह नगर के बाहिर मैदान में पहुंचा तो किसी ने उसकी गर्दन काट दी। इस समय उसका भी अन्त्येष्टि सस्कार किया जा रहा है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि राजकुमार श्रेणिक बिम्बसार से अधिक योग्य मगध को दूसरा शासक नही मिल सकता। अस्तु, यदि आपकी सहमति हो तो इनको मगध का राजमुकुट पहिनाया जावे।"
महामात्य के इस कथन पर सब ओर से
"राजकुमार श्रेणिक बिम्बसार की जय' का गगनभेदी शब्द हुआ। इस पर महामात्य कल्पक ने खडे होकर प्रश्न किया___ “यदि मेरे इस प्रस्ताव का कोई विरोधी हो तो वह अपना हाथ खड़ा कर दे।"
एक भी हाथ विरोध मे खडा न होने पर महामात्य ने उठकर फिर कहा
"इस का अभिप्राय यह है कि आप सब सर्व-सम्मति से राजकुमार श्रेणिक को मगध सम्राट् बनाना चाहते है । अतएव मै महर्षि मेधातिथि गौतम से प्रार्थना करता हूँ कि वे राज्याभिषेक की विधि को आरम्भ करें।" ___ महर्षि गौतम एक अत्यन्त वृद्ध तपस्वी थे। उनकी आयु कई सौ वर्ष की कही जाती थी। लोग कई पीढियो से उनको इसी आकार में देखते आते थे। वह खड़े होकर बोले
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