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बुद्धि-चातुर्य
'बुभुक्षितः किन्न करोति पापम् ।' भूखा आदमी किस पाप को नहीं करता, उसी प्रकार निद्रापीडित मनुष्य को भी उचित-अनुचित, हेय-उपादेय अथवा पुण्य-पाप का ध्यान नही रहता । निद्रा वास्तव में एक प्रकार का भयकर मरण है, क्योंकि जिस प्रकार मरते समय कठ मे कफ रुक जाने से घर-घर शब्द होने लगता है उसी प्रकार का शब्द निद्रा के समय भी होता है। जिस प्रकार मन्प्य मरण काल मे खाट आदि पर सोता है, उसी प्रकार निद्रा की बेहोशी मे भी खाट पर सोता है। जिस प्रकार मरण काल मे शरीर के अङ्गो पर पसीना झमक आता है, उसी प्रकार निद्रा के समय भी अङ्ग पर पसीना आ जाता है। जिस प्रकार मनुष्य मरणकाल मे शान्त पड जाता है, उसी प्रकार निद्रा के समय भी काठ की पुतली के समान बेहोश पड़ा रहता है।"
इस प्रकार मन ही मन विचार करके सम्राट ने सेवको को फिर बुलवाकर उनसे कहा
"तुम लोग शीघ्र ही नन्दिग्राम जाओ और वहा के ब्राह्मणो से कहो कि वह एक हाथी का वजन करके शीघू ही मेरे पास भेज दे।" ___ महाराज की आज्ञा पाते ही सेवक चला गया। उसने नन्दिग्राम जाकर नन्दिनाथ के घर जाकर उससे कहा___ "आपको सम्राट् ने आज्ञा दी है कि आप गाव के हाथी का वजन कर शीघ ही उनके पास भेजे, अन्यथा आपको नन्दिग्राम खाली करना पडेगा।"
राजसेवक के मुख से यह शब्द सुनते ही नन्दिनाथ का मुत फीका पड गया । गाव के अन्य ब्राह्मण भी इस सवाद से एकदम घबरा गए। वह सोचने लगे कि बावडी का विघ्न बडी कठिनता से दूर हुआ था कि यह नई बला कहा से सिर पर आ टूटी । अन्त मे कुछ देर इस प्रकार आपस मे विचार करके वे कुमार अभय के पास गए। उन्होने उनसे विनयपूर्वक कहा___ "माननीय कुमार | अबकी बार तो समाट् ने बड़ी कठिन समस्या उत्पन्न कर दी है । उन्होने हाथी का वजन मागा है । भला हाथी को कैसे तोला जा सकता है ? ससार मे कौन सी तराजू मे हाथी को चढाया जा सकता है और
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