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इस ग्रन्थ के पात्र-इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के आधार पर इस उपन्यास की रचना की गई है। यद्यपि इसके प्राय. पात्र वास्तविक है किन्तु महामात्य कल्पक प्रौर सेनापति भद्रसेन जैसे अनेक कल्पित व्यवित भी है। सेनापति जम्बकुमार का नाग केयन जैन शास्त्रो मे ही आता है। सभवतः अग की विजय के अवसर पर जम्बूकुमार बहुत छोटा था, फिर भी हमने उसी के हाथो अग का पतन दिखलाया है। ___ इस पृष्ठभूमि मे जैन ग्रन्थो, बौद्ध ग्रन्थो तथा हिन्दू पुराणों के प्राधार पर राजा बिग्बसार के चरित्र को उपस्थित किया गया है। यद्यपि राजा बिम्बसार के घर मे अनेक रानिया थी, किन्तु वह विषयी नही था। उसके प्राय विवाह राजनीतिक विवाह थे और उनके द्वारा उसने अपने परराष्ट्रसम्बन्ध बढाए थे। ऐसे व्यक्ति के चरित्र मे जो कुछ लेखको ने गुप्त व्यभिचार की घटनाए मिला दी है, वह उचित नही है।
विम्बसार के जीवन की अन्तर्राष्ट्रीय पटनायो का सिलसिला ठीक-ठीक विठलाने के लिये हमने इस ऐतिहासिक पृष्ठ-भूमि मे शिशुनाग वश का पूरा इतिहास दे दिया है। किन्तु यह अभी तक भी पता नहीं चला कि इस वश का नाम शिशुनाग वश क्यो पडा। सभवत राजा भट्टिय उपश्रेणिक का ही एक नाम शिशुनाग भी था।
अत मे हमको अपने पाठको से यह निवेदन करना है कि हमने अभी तक इतिहास, राजनीति, विज्ञान तथा दर्शन शास्त्र आदि के सम्बन्ध में ही ग्रन्थो की रचना की है, उपन्यास हमारे लिये सर्वथा नवीन क्षेत्र है। यद्यपि इससे पूर्व हमारी कुछ कहानिया प्रकाशित हो चुकी है, किन्तु उपन्यास हमारा अभी तक कोई भी प्रकाशित नही हुमा । सभव है कि इस उपन्यास मे पाठको को अन्य उपन्यासो के जैसा लालित्य न मिले। तो भी इस ग्रन्थ मे जो हमने 'सोलह महाजन पद काल' के इतिहास को ठीक-ठीक उपस्थित करने का यत्न किया है, उससे पाठको के मनोरजन के अतिरिक्त उनकी ज्ञानवृद्धि भी होगी। प्राशा है पाठक हमारे अन्य कई दर्जन बृहदाकार ग्रन्थो के समान हमारे इस ग्रन्थ को भी प्रेमपूर्वक अपनावेंगे।
चन्द्रशेखर शास्त्री ४५६६४ बाजार पहाड़गंज,