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श्रेणिक बिम्बसार
राजकुमार यदि आप सबकी ऐसी ही इच्छा है तो मुझे भी आपकी बात स्वीकार है।
इस पर सबके सब हर्ष से एक साथ बोल पडे - 'सम्राट श्रेणिक बिम्न्सार की जय ।' तब वर्षकार बोला
"अच्छा, अब हम जाते है और जाकर आपके उपयुक्त स्वागत का प्रबन्ध करते है । आप अपने सैनिको को लेकर आज रात को ही गिरिव्रज के लिये इस प्रकार प्रस्थान कर दे कि दिन निकलने से पूर्व गिरिव्रज मे प्रवेश करे। आपको नगर के सभी द्वार खुले मिलेगे। आप जाते ही नगर, राजसभा तथा राजमहल पर अधिकार कर ले । चिलाती आपके आते ही भागने का यत्न कर सकता है । वह यदि भागे तो उसे गिरफ्तार करने का यत्न न किया जावे। क्योकि हमारी योजना उसके भागने पर और भी अच्छी तरह सफल होगी।"
राजकुमार-मेरा विचार भी चिलाती को गिरफ्तार करने का नही है। उसको तो तभी गिरफ्तार करना चाहिये जब उसका नाना उसको मगध के विरुद्ध सहायता देता हुआ पाया जावे ।
भद्रसेन जी हा, हम सबका भी ऐसा ही विचार है । कल्पक-अच्छा, अब हमको गिरिव्रज जाने की अनुमति दी जावे । राजकुमार-तो आप लोग मेरा अभिवादन स्वीकार करे। सब-सम्राट् श्रेणिक बिम्बसार की जय हो ।
इसके पश्चात् वे पाचो अपने-अपने रथो पर बैठकर गिरिद्रज को चले गए।
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