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श्रेणिक बिम्बसार
"यह गोलमाल कैसा हो रहा है ?"
"महाराज | राजकुमार बिम्बसार ने आक्रमण करके सारे नगर पर अधिकार कर लिया।"
"उसने अधिकार भी कर लिया और मै सोता ही रह गया।" "ऐसा ही है महाराज !" 'राजमहल के प्रधान रक्षक को बुला ।"
"राजमहल तथा राज्यसभा पर भी उनका अधिकार हो गया है । अभी कुछ सैनिक आपको गिरफ्तार करने के सम्बन्ध मे आपस मे परामर्श कर रहे है।"
"सेना ने उनका मुकाबला नही किया ।"
"राज्य की सारी सेना ने राजकुमार बिम्बसार की आधीनता स्वीकार कर ली, सम्राट् !"
"अरी, तो फिर मै समाट् कैसा ? तब तो यहा से तुरन्त भागना चाहिये, अन्यथा गिरफ्तार होकर कुत्तो की मौत मरना होगा।"
तब तक द्वार पर कुछ लोगो के आने का शब्द हुआ। वे लोग जोरजोर से चिल्ला रहे थे--'चिलाती को पकड कर फासी पर लटका दो' इत्यादिइत्यादि।
चिलाती ने जो यह सुना तो उसने शीघ्रता से भाग कर अपने वस्त्र लेकर गुप्त द्वार में प्रवेश किया । वहा जाकर उसने प्रथम तो उस द्वार को अन्दर से बन्द किया और फिर अपने वस्त्र पहिन तथा शस्त्र लगा कर उसी गुप्त मार्ग से गिरिव्रज के बाहिर चला गया।
इस समय प्रकाश अच्छी तरह फैल गया था और नगर-निवासी बाहिर नित्य-कर्म के लिये जा रहे थे। चार युवको की एक टोली भी उस समय शस्त्र बाधे नगर से बाहिर टहलने को जा रही थी। उनमे से एक बोला
'यार, यह तो बड़े आश्चर्य की बात रही। रात-रात में नगर मे एक ऐसी जबर्दस्त राज्य-क्रान्ति हो गई कि राज्य-परिवर्तन हो गया और हम नागरिको को पता तक भी न चला ।"
दूसरा-आश्चर्य तो यह है कि हम चिलाती के राज्य में सोये थे और
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