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गिरिव्रज की पुकार
राजकुमार-तो आप मुझे आज्ञा दे कि मै आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?
कल्पक-राजकुमार नगर का पूर्णतया सगठन कर लिया गया है। आप अविलम्ब गिरिव्रज पर चढाई करके वहा के शासन को हस्तगत कर लीजिये।
राजकुमार-किन्तु मेरे पास तो पाच सौ सैनिक ही है। इतने थोड़े सैनिको को लेकर मै चिलाती पर किस प्रकार चढाई कर दू?
भद्रसेन--सेना की चिन्ता आप न करे, राजकुमार | राजकुमार-उसकी चिन्ता क्यो न की जावे ?
भद्रसेन-सेना का एक-एक व्यक्ति यह शपथ ले चुका है कि वह राजकुमार बिम्बसार के विरुद्ध शस्त्र उठाना तो दूर, उनके आते ही उनकी आधीनता स्वीकार कर लेगा।
कुसुमकान्त-नागरिक तथा शासन-अधिकारी भी इसी प्रकार की शपथ ले चुके है।
वर्षकार-राजकुमार | आपके पास तो पाच सौ सैनिक है। यदि आपके पास इतने सैनिक भी न होते तब भी आपको गिरिव्रज का शासन हस्तमत करने में किसी कठिनाई का सामना करना न पडता। आप तो केवल यह 'हा' भर कर ले कि आप वहा आक्रामक के रूप में आकर शासनभार ग्रहण करने के लिये तैयार है । आप यह निश्चय रखे कि आपको रक्त की एक बूद बहाए बिना ही मगध का राज-सिहासन मिल जावेगा।।
राजकुमार-आप लोग स्वय ही सोच लीजिये। वैसे मगध का समस्त राजकुल नाम को तो आपका शासक है, किन्तु व्यवहार मे आपका सेवक है। मुझे आपकी सेवा करने मे कोई आपत्ति नही है, किन्तु आप मेरी अल्पशक्ति, अपनी सगठन-कुशलता तथा चिलाती की सामर्थ्य तीनो की तुलना करके यह देख ले कि क्या चढाई करने का यही सबसे अधिक उपयुक्त समय है ।
वर्षकार-निश्चय से राजकुमार | चढाई करने के लिये इससे अधिक उपयुक्त अवसर आपको नहीं मिल सकता।
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