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श्रेणिक बिम्बसार
www.mmmmmmm x xmmmmmmmmmwww भद्रसेन भी चिलाती के विरुद्ध हो चुके थे। अतएव इस बैठक मे उन्होने भी भाग लिया । बिम्बसार के पास भेजने के लिये निम्नलिखित पाच व्यक्तियो का इस बैठक में निर्वाचन किया गया--
१. महामात्य कल्पक, २ सेनापति भद्रसेन, ३ ब्रह्मचारी वर्षकार, ४ नगरसेठ धनञ्जय तथा ५ नगराध्यक्ष कुसुमकान्त ।
ये पाचो व्यक्ति अपने-अपने रथो पर बैठकर भिन्न-भिन्न मार्ग से एक ही दिन गिरिव्रज से निकले। आगे चल कर नन्दिग्राम के बाद वे पाचो एक साथ हो गए। उन्होने नदी को पार करके वेणपद्म नगर मे प्रवेश किया।
उधर इस सारे आन्दोलन का रत्ती-रत्ती भर समाचार राजकुमार को भी मिलता रहता था। वे जानते थे कि उनको गिरिव्रज पर निकट भविष्य मे ही चढाई करनी होगी। अतएव उन्होने अपने गुप्तचरो द्वारा अपने अगरक्षक पाच सौ सैनिको को अपने पास बुलवा लिया था । गिरिव्रज के प्रतिनिधिमण्डल ने नन्दिश्री के द्वार को सैनिक प्रहरियो से रक्षित पाकर रक्षको से अनुरोध किया कि वह गिरिव्रज से एक प्रतिनिधि-मण्डल के आने का समाचार राजकुमार के पास पहुँचा दे ।
राजकुमार ने जो उनके आने का समाचार सुना तो उनको बडे आदर से अन्दर बुलवाया। मार्ग तो लम्बा था ही, अतएव सेठ जी ने उनका अतिथिसत्कार भी किया। उनके रथो को भी यथास्थान ठहरा दिया। मार्गश्रम दूर होने पर राजकुमार ने उन पाचो व्यक्तियो के साथ अपने कमरे मे भेट की।
राजकुमार का अभिवादन करने के बाद उनमे इस प्रकार वार्तालाप हुआ?
सेठ धनञ्जय--राजकुमार | आपके आने के बाद मगध राज्य अनाथ हो गया। चिलाती उस पर इतनी क्रूरता से शासन कर रहा है कि नगर मे कोई व्यक्ति अपने सम्मान, धन तथा जीवन को सुरक्षित नहीं समझता । अब आपकी सहायता के बिना हमारा काम नही चल सकता। १०२