________________
प्रणय-परीक्षा
___लम्बनखी अपने नखो का तेल उस गड्ढे में डाल कर राजकुमार को सकेत से कान दिखा कर घर चली गई।
लम्बनखी के जाने के बाद राजकुमार ने देखा कि उस गड्ढे का सारे का सारा जल तेल के कारण चिकना हो गया। उन्होने उसको अपने बदन मे मल कर प्रथम अच्छी तरह स्नान किया। फिर वह वस्त्र पहिन कर जाने के लिय बैयार हुए । वह सोचने लगे कि दासी जाते समय कान दिखला गई है। कान का अर्थ होता है ताड का वृक्ष । सो उसके मकान के सामने ताड का वृक्ष होना चाहिये । कान मे कीचड भी होता है सो उसके मकान के सामने कीचड़ भी होना चाहिये।
इस प्रकार राजकुमार बिम्बसार वहाँ से स्नान कर गाव मे घुसे। वह गाव मे आगे चलते जाते और ऐसे मकान को खोजते जाते थे, जिसके सामने ताड का पेड हो । अन्त मे आगे बढ़ते-बढते उनको एक ऐसा मकान मिल ही गया । उसके सामने बडा भारी कीचड था और उस के अन्दर से घर में जान के लिये एक-एक कदम के अन्तर पर कुछ पत्थर रखे हुए थे । राजकुमार उन पत्थरो पर से न जाकर कीचड के अन्दर पैर फंसा कर चलने लगे। इससे उनके पैर घुटनो तक कीचड मे सन गए। वह उन सने हुए पैरो से ही नन्दिश्री के आगन मे जा पहुंचे। नन्दित्री ने उनको देखकर एक आधा गिलास जल देते हुए कहा
"राजकुमार आप प्रथम इस जल से अपने पैर साफ कर ले।"
राजकुमार ने जो घुटनो तक सने हुए अपने पैरो के लिये कुल आधा गिलास जल देखा तो तुरन्त समझ गये कि उनकी बुद्धि की परीक्षा की जा रही है । अस्तु, वह जल लेकर नाली के पास जा बैठे। यहा उन्होने प्रथम एक खप्पच से अपने पैरो के सारे कीचड को छुडाया और फिर थोडे जल से उनको घोकर अपने पैरो को पूर्णतया साफ करके भी थोडा जल बचा कर नन्दिश्री को दे दिया।
नन्दिश्री राजकुमार के रूप, यौवन, तेज तथा बुद्धिचातुर्य को देखकर न केवल प्रभावित हुई वरन् उन पर आसात हो गई। राजकुमार का मुख उसके