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गृह-जामाता
सेठ जी-किन्तु मै तो आपका विवाह नन्दिश्री के साथ करना चाहता था।
राजकुमार-आपकी पुत्री कन्या रत्न है। वह विदुषी है, बुद्धि मती है, सुन्दरी है और गृहकार्य में निपुण है । अस्तु, यदि उसकी भी इसमे सहमति हो तो मै इस प्रस्ताव पर सहानभूतिपूर्वक विचार करूँगा।
सेठ जी-उसकी अनुमति लेकर ही तो मेने आपसे यह प्रस्ताव किया है।
राजकुमार---उसकी सहमति है तो पिता जी, मै भी इस प्रस्ताव को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करता हूँ। किन्तु इसमे मेरी एक शर्त होगी।
सेठ जी--कहिये आपकी वह शर्त क्या है ?
राजकुमार-मेरी शर्त यह है कि विवाह बिल्कुल बिना आडम्बर के किया जावे, जिससे इस वेणपद्म नगर के बाहिर उसका समाचार न जावे और न विवाह के अवसर पर मेरा यथार्थ परिचय ही दिया जावे ।
सेठ जी--मुझे आपकी यह शर्त पूर्णतया स्वीकार है। किन्तु उसके साथ एक शर्त मेरी भी है।
राजकुमार-वह क्या पिता जी ?
सेठ जी---वह यह कि विवाह के बाद आप मेरे यहाँ से तप तक घर छोड कर न जावे, जब तक आपके मगध की राजगद्दी पर बैठने की स्पष्ट सम्भावना न हो। ___ राजकुमार-तो इसका यह अर्थ हुआ कि तब तक मुझको गृह-जामाता बन कर रहना होगा?
सेठ जी-तो इसमे बुराई ही क्या है ? हम सब लोग आपकी सब प्रकार तन, मन, धन से सहायता करेगे। आपको तो अपने भावी सगठन के लिये एक केन्द्र बनाना ही होगा। फिर वह मेरा ही घर क्यो न हो ?
राजकुमार-अच्छा, आपका यह विचार है ? सेठ जी-निश्चय से।
राजकुमार-अच्छा, मुझे आपकी सब बाते स्वीकार है। आप विवाह की तयारी करे।