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श्रेणिक बिम्बसार
. महाराजकच्या जामा वन इस सेट को साकार कर है।
महाराज-अच्छा सामत, हम इस भेट को स्वीकार करते है। कल्पक, सामत को कल राजसभा मे शिरोपाद-वस्त्र देकर सम्मानित किया जावे।
कल्पक-जैसी महाराज की आजा।
महाराज-महामन्त्री जी, हमारा विचार इस अश्व पर बैठकर मृगया के लिये जाने का है। हमारी अंगरक्षक सेना मृगया में हमारे साथ रहेगी। आप सब नगर मे जावे।
"बहुत अच्छा, महाराज !"
इसके पश्चात् महाराज भट्टिय उपवेषिक अपनी अगरक्षक सेना को लेकर मृगया के लिये वन को चले और शेष राज-पुरुष नगर मे लौट आये। देखते ही देखते वह सारा मैदान खाली हो गया ।