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मख्या मे वलि दी जाती थी । उम वैदिक हिंसा के विरुद्ध यद्यपि प्राचीन काल रो ही आदोलन किया जा रहा था, कितु भगवान् बुद्ध और भगवान् महावीर ने इस आन्दोलन को नवीन दिशा देकर उसमे नवीन प्राण-प्रतिष्ठा की। भगवान् बुद्ध ने जिस जीवदया और महिसा-धर्म का उपदेश दिया था, उसका प्रचार उसके बाद उनके अनुयायी भिक्षुपच तथा बौद्ध नरेशो ने बहुतं बडे। पैमाने पर किया। भगवान् बुद्ध के उपदेश से अनेक राजकुमारो तथा सुकुमार राजकुमारियो ने राजसुख छोड कर भिक्षु तथा भिक्षुरिणयो का जीवन स्वीकार किया। बुद्ध के बाद उन्होने दूर-दूर के देशो में जाकर तथागत के ज्ञान का सदेश दिया। __अहिंसा प्रचारक चार विभूतियाँ- अहिंसा के प्रचारको मे ससार मे सब से प्रमुख स्थान गौतम बुद्ध, भगवान् महावीर, ईसा मसीह तथा महात्मा गाँधी वा हे। ईसा मसीह के अलावा शेष तीनो प्रचारक भारतीय थे। ईसा मसीह ने भी अहिता की शिक्षा , भारत पाकर बौद्ध विद्यालय मे ही प्राप्त की थी, इस वात को अब इतिहास के विद्वान् मानने लगे है । बौद्ध धर्म के कारण भारत मे तथा भारत के बाहिर भी भारतीय धर्मशास्त्र, दर्शनशास्त्र, साहित्य, कला तथा सस्कृति का अत्यन्त व्यापक रूप में प्रचार हुमा । चीन, जापान, कम्बोडिया, ब्रह्मा, स्याम , सुमात्रा, जावा, बाली, लका आदि जिन देशो मे आज बौद्ध धर्म का व्यापक रूप से प्रचार है उनको भारतीय इतिहास मे 'बृहत्तर भारत' कहा जाता है । मूत्तियो तथा अन्थो के रूप मे भारतीय संस्कृति की बहुत बडी सामग्री अब भी वृहतर भारत' के इन देशो में मिलती है।
भगवान् बुद्ध की धारणा थी कि वह किसी नये धर्म का उपदेश न दे कर शाश्वत सनातन धर्म का ही उपदेश कर रहे है। उन्होने मनुष्य को पशुता की ओर जाने से रोक कर मानवता का सदेश दिया।
उन्होने जो वेदो के नाम पर होने वाली हिंसा के विरुद्ध आवाज़ उठाई उसका सनातनधर्मी नेताओ पर इतना अधिक प्रभाव पडा कि उन्होने बुद्ध को विष्णु के दशावतारो में गिराना प्रारभ किया। भागवत पुराण में जहा विष्णु के सभी अवतारो का चरित्र दिया गया है बुद्ध का चरित्र वर्णन करते हुए यह बतलाया गया है कि ब्रह्मा जी ने भगवान् बुद्ध से यह अनुरोध किया कि वह