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पथ्वी पर अवतार लेकर वेदो के नाम पर की जाने वाली नृशंस हिंसा को रोके ।
बौद्धों के वर्तमान तीर्थ स्थान-भारत में बुद्ध के जीवनसम्बन्धी चार प्रधान स्थान है
एक कपिलवस्तु जहा भगवान् का जन्म हुआ, दूसरा गया जहाँ भगवान् 'को बोध हुना, तीसरा सारनाथ जहाँ भगवान् ने प्रथम बार धर्मोपदेश देकर धर्मचक्र का प्रवर्तन किया तथा चौथा कुशीनगर जहाँ भगवान् ने निर्वाण प्राप्त किया। यद्यपि बौद्ध लोग इन चारो ही स्थानो की तीर्थ-या । बडी श्रद्धा से करते है, किंतु सनातनधर्मी लोग बुद्धावतार के सम्बन्ध से बुद्ध गया को ही अधिक मानते है । बुद्ध गया मे भगवान् बुद्ध का एक उत्तम मदिर है, जिसे बुद्ध का ससार भर मे सर्वश्रेष्ठ मदिर समझा जाता है। इस मदिर के साथ बड़ी भारी विशाल सम्पत्ति लगी हुई है, जो सब की सब एक सनातनधर्मी महंत के अधिकार में है । बौद्ध लोग अनेक वषो से यह आन्दोलन कर रहे है कि यह मदिर बौद्धो को दिया जाना चाहिये । भारत में अग्रेजो के प्रभुत्व के समय द्वितीय महायुद्ध से पूर्व इस आन्दोलन को बौद्ध लोगों ने बडे जोर-शोर से चलाया था, कितु १६३६ मे द्वितीय महायुद्ध प्रारभ हो जाने पर यह आन्दोलन अपने आप ही समाप्त हो गया । अब भारत के स्वतंत्र हो जाने पर यद्यपि भारत में बौद्धो की संख्या बढ़ गई और महाबोधि सोसाइटी को भी अधिक बल मिल गया, किन्तु बुद्ध गया के मदिर को बौद्धो को देने के सम्बन्ध मे कही कोई आन्दोलन दिखलाई नही देता।
आज ससार तृतीय विश्व युद्ध के लिये तैयार जैसा दिखलाई देता है । उस की तृतीय विश्वयुद्ध से कोई रक्षा कर सकता है तो वह भगवान् बुद्ध और भगवान् महावीर स्वामी का उपदेश ही है। " . प्रसेनजित का पुत्र विडूडभ-प्रसेनजित का सेनापति बन्धुल मल्ल था। उसकी पत्नी को जब गर्भ रहा तो उसको यह दौर्ह द हुआ कि मै वैशाली की मङ्गल पुष्करिणी में स्नान करूं। इस समय कोशल तथा मगध की सधि हो कर उनमे फिर गाढ मित्रता हो चुकी थी। बधुल मल्ल के वृजि सघ पर चढाई
करने की अनुमति मागने पर प्रसेनजित, ने इस विषय मे अजातशत्रु का मत । जानने के लिये कुछ दूत राजगृह भेजे। इस समय तक अजातशत्रु की माता जैन