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(५१) बाल काहा है कारणके च्यार गुणस्थाने व्रत नहीं होता है। वास्ते एकान्त बाल भी कहते है।
(२) पंडित बीव छटेसे चौदहवां गुणस्थानक यह नव गुणस्थानके जीव सर्व व्रती है वास्ते इन्होंको एकान्त पंडित
(1) बालपंडित जीव-पांचवे गुणस्थान जो व्रताव्रती (श्रावक ) हे इन्होंको बालपंडित, कहते है। - (प्र०) हे भगवान् । एकान्त बालजीव आयुष्य कीस गतिम कन्धते है।
(उ०) एकान्त बालनीव, नरक, तीर्यच, मनुष्य, देव इन्ह यारोंगतिका आयुष्य बन्धता है परन्तु इतना विशेष है कि चोथे गुणस्थान वृति नारकी देवता तो मनुष्यका मायुष्य और तीर्यच, मनुष्य, वैमानी देवका आयुष्य बान्धता है।
(१०) एकान्त पंडित जीव भायुष्य काहाका बन्धता है।' ___ (उ०) एकान्त पंडित जीव स्यात आयुष्य बान्धे स्वात नहीं मि बान्धे क्योंकि एकान्त पंडित जीव कर्म क्षयकर मोक्ष मि जाता है वास्ते अयुष्य नहीं भी बान्धे । बगर बन्धे तो केवल वैमानिक, देवोका ही आयुष्य बान्धे । . (पभ) बाल पंडित जीव-आयुष्यहाका बन्धे ?
(उ०) बालपंडित (श्रावक) वैमानिक देवतावोंका ही मायुष्य बन्यता है और जो जीव जीस गतिका मायुष्य बांधता है नोव उसी गतिमें उत्पन्न होता है यह सर्वत्र समझता। ' (प्रश्न) हे भगवान् वीर्य कितने प्रकारका है ?