Book Title: Shighra Bodh Part 16 To 20
Author(s): Gyansundar
Publisher: Ravatmal Bhabhutmal Shah

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Page 401
________________ १०५ सभाके स्थानोमें पाणीके पर्वकी शाला, करियाणेकी शाला, वैपारीयोंकी दुकानोमें, रथोंकी शालाप्रोमें, तुनादिकी शालामें, सुतारोंकी शालामें, तुनारोंकी शालामें, इत्यादि स्थानोमें जाके कहो कि-राजा श्रेणिक ( अपरनाम भंभसार ) की यह आज्ञा है कि श्रमणभगवन्त वीरप्रभु पृथ्वीमंडलको पवित्र करते हुवे, एक ग्रामसे दूसरे ग्राम विहार करते हुवे, सुखे सुखे तप-संयमकी अन्दर अपनी आत्माको भावते हुये, यहांपर पधार जावे तो तुम लोग उन्हों को बड़ा आदरसत्कार करके स्थानादि जो चाहिये उन्होंकी आज्ञा दो, भक्ति करो, बादमे भगवान् पधारनेका खुरा खबर राजा श्रेणिकको शीघ्रता पूर्वक देना, ऐसा हुकम राजा श्रेणिकका है. आदेशकारी पुरुषों इस श्रेणिकराजाका हुकमको सविनय सादर कर-कमलोंसे अपना शिरपर चढाके बोलेकि हे घराधिप ! यह आपका हुकम मैं शीघ्रता पूर्वक सार्थक करुंगा. ऐसा कहके वह कुटम्बीक पुरुष राजगृह नगरके मध्य भाग होके नगरकी बाहार जाके जो पूर्वोक्त स्थानोंमे राजा श्रेणिकका हुकमकी उद्घोषणा कर शीघ्रतासे राजा श्रेणिकके पास आके माज्ञाको सुप्रत करदी. उसी समय भगवान् वीरप्रभु, जिन्होंका धर्मचक्र आकाशमें चल रहा है, चौदा हजार मुनियों, छत्तीस हजार साध्वीयों कोटिगमे देव-देवीयों के परिवारसे भूमंडलको पवित्र करते हुवे राजगृह नगरके उद्यानमें समवसरण करते हुये.

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