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साध्वीयों राजा श्रेणिक और राणी चेलणाको देखके उसी साधु साध्वीयोंके ऐसे अध्यवसाय, मनोगत परिणाम हुवाकिअहो ! आश्चर्य ! यह श्रेणिक राजा बडा महड्डिक, महाऋद्धि, महा ज्योति, महाकान्ति, यावत् महासुखके धणी, जिन्होंने किया है स्नान मजन, शरीरको वस्त्र भूषणसे कल्पवृक्ष सदृश बनाया है. और चेलणा राणी यहभी इसी प्रकारसे एक शृंगारका घर है. जिसके राजा श्रेणिक मनुष्य संबन्धी कामभोग भोगवता हुवा विचर रहा है. हमने देवता नहीं देखे है, परन्तु यह प्रत्यक्ष देव देवीकी माफिकही देख पडते है. अगर हमारे तप, अनशनादिसंयम व्रतरुप तथा ब्रह्मचर्यके फल हो, तो हमभी भविष्यकालमे राजा श्रेणिककी माफिक मनुष्य संबन्धी भोग भोगवते विचरे अर्थाद हमकोभी श्रेणिक राजा सदृश भोगोंकी प्राप्ति हो । इति साधु-साधुवोंने ऐसा निदान (नियाणा) कीया. ___ अहो ! आश्चर्य ! यह चेलणा राणी स्नान मजन कर यावत् सर्व अंग सुन्दर कर शृंगार किया हुवा, राजा श्रेणिकके साथ मनुष्य संबन्धी भोग भोग रही है. हमने देवतोंको नहीं देखा है, परन्तु यह प्रत्यक्ष देवताकी माफिक भोग भोगवते है. इसलीये अगर हमारे तप, संयम, ब्रह्मचर्यका फल हो, तो हमभी भविष्यमें चेलणा राणीके सदृश मनुष्य संवन्धी सुख भोगवते विचरे. अर्थात् हमकोभी चेलणा राणीके जैसे भोग