________________
जहांपर लोग जान जावे कि यह प्रतिमाधारी मुनि है, तो वहां एक रात्रिसे अधिक नहीं ठहर सके, अगर न जाने तो दोय रात्रि ठहर सके. इसीसे अधिक जितने दिन ठहरे उतना ही छेद या तपका प्रायश्चित होते है. यहांपर ग्रामादि अपेचा है, न कि जंगलकी.
(६) मासिक प्रतिमा स्वीकार कीये हुवे मुनिकों च्यार प्रकारकी भाषा बोलनी कल्पै. (१) याचनीअशनादिककी याचना करना. (२) पृच्छना-प्रश्नादि तथा मार्गका पूछना. (३) अणवणि-गुर्वादिकी आज्ञा तथा मकानादिकी आज्ञाका लेना. (४) पूछा हुवा प्रश्नादिका उत्तर देना.
(७) मासिक प्रतिमा स्वीकार कीये हुवे मुनिको तीन उपासरोंकी प्रतिलेखना करना कल्पै. (१) आराम-गीचोंके बंगलादिके नीचे. (२) मंडप-छत्री आदि विकट स्थानोमें. ( ३) वृक्षके नीचे..
(८) मासिक प्रतिमा स्वीकार किये हुवे मुनिको उक्त तीनों उपासरोंकी आज्ञा लेना कल्पै.
(8) मासिक प्रतिमा स्वीकार किये हुवे मुनिकों उक्त तीनों उपासरोंमें निवास करना कल्पै.
(१०) मासिक प्रतिमा स्वीकार किये हुवे मुनिकों तीन संथारा ( बिछाना ) कि प्रतिलेखना करना कल्पै (१)