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(२१) गुरुके बोलानेपर शिष्य कह-क्या कहते हो ? दिन
भर क्या कहे तो हो ? आशातना. (२२) गुरुके बालानेपर शिष्य कहे -तुम क्या कहते हो ? तुं
क्या कहे ? असा तुच्छ शब्द बोले तो आशातना. (२३) गुरु धर्मकथा कह शिष्य न सुने तो आशातना. (२४) गुरु धर्मकथा कहै, शिष्य खुशी न हो तो आशातना. (२५) गुरु धर्मकथा कहै शिष्य परिषदमें छेद भेद करे, अर्थात्
आप स्वयं उस परिषदको रोक रखे तो आशातना. (२६) गुरु कथा कह रहे है, आप बिचमे बोले तो आशातना. (२७) गुरु कथा कह रहे हैं, आप कहे-असा अर्थ नहीं,
इसका अर्थ आप नहीं जानते हो, इसका अर्थ असा
होता है. आशातना. (२८) गुरुने कथा कही उसी परिषदमे उसी कथाको विस्ता
रसे कहके परिपदका दिलको अपनी तर्फ आकर्षण
करे तो आशातना. (२६) गुरुके जाति दोषादिको प्रगट करे तो आशातना. (३०) गुरु कहै-हे शिष्य ! इस ग्लान मुनिकी वैयावच्च
करो, तुमको लाभ होगा. शिष्य कहै-क्या आपको ___ लाभ नहीं चाहिये ? असा कहै तो आशातना. (३१) गुरुसे उंचे आसनपे बैठे तो आशातना. (३२) गुरुके आसनपर बैठे तो आशातना.