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(२०) एक वर्षमें दश मायास्थान सेवन करनें से सबल दोष. (२१) सचित्त पृथ्वी - पाणीसे स्पर्श हुवे हाथोंसे भात, पाणी
ग्रहण करे तो सबल दोष लगता है. दोषोंके साथ परिणामभी देखा जाता है और सब दोष सदृश भी नहीं होते है, इसकी आलोचना देनेवाले बडेही गीतार्थ होना चाहिये.
इस २१ सबल दोषों से मुनि महाराजोंको सदैव वचना चाहिये.
इति श्री दशा श्रुत स्कन्ध- दुसरे अध्ययनका संक्षिप्त सार.
(३) तीसरा अध्ययन.
गुरु महाराजकीतेतीस आशातना होती है. यथा(१) गुरु महाराज और शिष्य राहस्ते चलते समय शिष्य गुरुसे आगे चले तो आशातना होवे.
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(२) बराबर चले तो आशातना, (३) पीछे चले परन्तु गुरुसे स्पर्श करता चले तो आशातना, एवं तीन - शातना बैठनेकी, एवं तीन आशातना उभा रहनेकीकुल शातना है ।
(१०) गुरु और शिष्य साथमे जंगल गये कारणवशात् एक पात्रमे पाणी ले गये, गुरुसे पहिला शिष्य शूचि करें तो शातना, (११) जंगल से श्रायके गुरु पहिला शिष्य इरिया ही प्रतिक्रमे तो आशातना.