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गौतमस्वामिने पूर्वभवकी पृच्छा करी
भगवानने उत्तर फरमाया कि हे गौतम ! इस जम्बुद्विप के भरत क्षेत्रमें बनारस नामकि नगरी थी । उस नगरी के अन्दर बडाही धनाढय व्यार वेद इतिहास पुराणका ज्ञाता सोमल नामका ब्राह्मण वसता था. वह अपने ब्राह्मणोंका धर्म में बडाही श्रद्धावन्त था ।
उसी समय पार्श्व प्रभुका पधारणा बनारसी नगरी के उद्यानमें हुवा था. च्यार प्रकार के देवता, विद्याधर और राजादि भगवानको वन्दन करनेको आयाथा ।
भगवानके आगमन कि वार्ता सोमल ब्राह्मणने सुनके विचारा कि पार्श्वप्रभु यहां पर पधारे हैं तो चलके अपने दीलके अन्दर जो जो शक है वह प्रश्न पुच्छे । एसा इरादा कर आप भगवान के पास गया ( जैसे कि भगवती सूत्र में सोमल ब्राह्मण वीरप्रभुके पास गया था ) परन्तु इतना विशेष है कि इसके साथ कोई शिष्य नहीं था ।
सोमल ब्राह्मण पार्श्वनाथ प्रभुके पास गया था: परन्तु बन्दन-नमस्कार नहीं करता हुवा प्रश्न किया ।
हे भगवान्! आपके यात्रा है ? जपनि है? अव्याबाध है ? फासुक विहार है ।
भगवानने उत्तर दिया हां सोमल ! हमारे यात्रा भी है. जपनि भि है. अव्वाबाध भि है और फासुक विहार भी हैं । सोमलने कहा कि कोनसे कोनसे है ?
भगवान ने कहा कि हे सोमल
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