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में धन धान्यसे समृद्ध एसा राइसडा नामका नगर था, जि. . सके बाहार मेघवनोद्यान, मणिदत्त नामके यक्षका सुन्दर यक्षायतन था।
उस नगरमें वडाही प्राक्रमी न्यायशील प्रजापालक महाबल नामका राजा राज करता था। जिस राजाके महिला गुण संयुक्त सुशीला पद्मावती नामकि रांणी थी। उस राणीके सिंह स्वप्न सूचित कुंमरका जन्म हुवा. अनेक गहोत्सव कर कुंमरका नाम 'वीरंगत्त' दीया था सुख पुर्वक चम्पकलताकि माफीक वृद्धिकों प्राप्त होता बहोत्तर कलामे निपुण हो गया। ..
जब वीरंगत्त कुंमरकि युवक अवस्था हुइ देखके राजाने बत्तीस राज कन्यावोंके साथ पाणिग्रहन करा दिया. इतनाही दत्त आया, कुंमर निराबाधित सुख भोगव रहाथा कि जिस्को काल जानेकि खबरही नही थी। ___उसी समय केसी श्रमणके माफीक बहु श्रुति बहुत शिष्योंके परिवारसे प्रवृत सिद्धार्थ नामका आचार्य महाराज उस रोहीसडे नगरके उद्यानमें पधारे. राजादि नगरलोक और वीरंगत्त कुंमर आचार्य महाराजकों वन्दन करनेकों गये। आचार्यश्रीने विस्तार पुर्वक धर्मदेशना प्रदान करी । परिषदा यथाशक्ति त्याग वैराग धारण कर विसर्जन हुइ।।
वीरंगत राजकुमार, देशना सुन परम वैराग रंग रंगाहुवा माता-पिताकि आज्ञापुर्वक वडेही मोहत्सवके साथ आचार्यश्रीके पास दीक्षा ग्रहन करी इर्यासमिति यावत् गुप्त ब्रह्मचर्य व्रत पालन करने लगा विशेष विनय भक्ति कर स्थिवरोंसे इग्यारा अं. गका ज्ञानाभ्यास कीया । विचित्र प्रकार तपश्चर्या कर अन्तमे आलोचना पुर्वक ४५ वर्ष दीक्षा पालके दोय मासका अनसन कर