________________
रहते हुवे अन्दरकी भिक्षा लेवे, तो कल्पातिक्रम दोष लगता है। वास्ते जहां रहे वहांकी भिदा करनेकीही आज्ञा है ।
(८) पूर्वोक्त १६ स्थानोंकी बहार वस्ती न हो, तो शीतोष्णकालमें साध्वीयोंको दो मास रहेना कल्पै, भावना पूर्ववत् ।
(ह) पूर्वोक्त १६ स्थान कोट संयुक्त हो, बहार पुरादि वस्ती हो, तो शीतोष्ण कालमें साध्वीयोंकोच्यार मास रहेना कल्पै । दो मास कोटकी अन्दर और दो मास कोटकी बहार। अन्दर रहे वहांतक भिक्षा अन्दर करे और बहार रहे वहांतक भिक्षा बहार करे।
(१०) पूर्वोक्त प्रामादिके एक कोट, एक गढ, एकही दरवाजा, एकही निकाश, प्रवेशका रस्ता हो, ऐसा ग्रामादिमें साधु, साध्वीयोंकों एकत्र रहेना उचित नहि । कारण-दिन और रात्रिमें स्थंडिलादिकके लीये ग्रामसें बहार जाना हो, तो एकही दरवाजेसे आने जानेमें परिचय बढता है, इस लीये लोकापवाद और शासन लघुतादि दोषोंका संभव है।
. (११) पूर्वोक्त ग्रामादिके बहुतसे दरवाजे हो, निकास, प्रवेशके बहुतसे रस्ते हो, वहांपर साधु, साध्वी, एक ग्राम में निवास कर सक्ते है । कारण-उन्होंकों आने जानेको अलग अलग रस्ता मिल सकता है।
(१२) बाजारकी अन्दर, व्यापारीयोंकी दुकानकी