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१६ स्थानोंके नाम. -
(१) ग्राम - जहां रहनेवाले लोगोंकी संख्या स्वल्प है, खान, पान, भाषा हलकी है. और जहांपर ठहरनेसें बुद्धिमानोंकी बुद्धि मलिन हो जाती है, वो ग्राम कहा जाता है। (२) आकर -- जहां पर सोना, चांदी और रत्नोंकी खाणों हो । (३) नगर - शहरपना (कोट) से संयुक्त होके गोलाकार हो, वो नगर कहा जाता है और लम्बी जादा, चौडी कम हो वो नगरी कही जाती है।
(४) खेड - धूलकोट तथा खाइ संयुक्त हो ।
(५) करवट -- जहां पर कुत्सित मनुष्यों वसतें है । (६) पट्टण - जहां पर व्यापारी लोगोंका विशेष निवास हो । (१) गीनती नालीयरादि (२) तोलसें गुल शर्करादि, (३) मापसे कपडा कीनारी इत्यादि, (४) परीक्षार्से रत्नादि - ऐसा चार प्रकार के पदार्थ मिले और विक्रयभी हो सके, उसे पट्टण कहतें है ।
(७) मंडप - जिसके बहार अढाइ अढाइ कोशपर ग्राम न हो । (८) द्रोणीमुख - जहां पर जल और स्थलका दोनों रस्ता मोजूद हो ।
. (६) आश्रम - जहां पर तापसका बहुत आश्रम हो । (१०) सन्निवेश - बडे नगरके पासमें वस्ती हो ।