________________
यदि वृद्धाको सुप्रत कर देना, फिर वह आज्ञा देनेगर वह वस्त्रादि काममें ले सकते है । भावार्थ-यहां स्वच्छदताका निषेध, और वृद्ध जनोंका विनय बहुमान होता है ।
(४२) इसी माफिक विहारभूमि जाते हुवेको, स्वाध्याय करनेके अन्य स्थानमें जाते हुवेको आमंत्रणा करे तो ।
(४३) एवं साध्वी गोचरी जाती हो।
(४४) एवं साध्वी विहारभूमि जातीको आमंत्रणा करे, परन्तु यहां साध्वीयों अपनी प्रवर्तिनी-गुरुणीके पास लावे और उसीकी आज्ञासे प्रवर्ते ।
नोट:-इस दोयसूत्रमें विहारभूमिका लिखा है, तो वि. हार शब्दका अर्थ कोइ स्थानपर जिनमंदिरका भी कीया है। साधु स्वाध्याय तो मकानमें ही करते है, परन्तु जिनमंदिर दर्शनके लीये प्रतिदिन जाना पडता है । वास्ते यहांपर जिनमंदिर ही जाना अर्थ ठीक संभव होता है।
(४५) साधु साधीयोंको रात्रिसमय और वैकालिक (प्रतिक्रमण समय ) अशनादि च्यार आहार ग्रहन करना नहीं कल्पै । कारन-रात्रि-भोजनादि कार्य गृहस्थोंके लीये भी महापाप बतलाया है, तो साधुवांका तो कहना ही क्या? । रात्रिमें जीवांकी जतना नहीं हो सकती । अगर साधुवोंको निर्वाह होने योग्य ठहरनेको. मकान नहीं मिले उस हालतमें कपडे आदिके व्यापारी लोग दुकान मंडते हो, उसको देनेमें दृष्टि