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(२२) एवं-गणविच्छेदक. (२३) एवं-प्राचार्योपाध्यायभी समझना..
( २४ ) साधु इच्छा करेकि मैं अन्य गच्छमें साधुवोंकी वैयावच करनेको जाउं, तो कल्पै-उस साधुवोंको, पूर्ववत् सात पद्वीधरोंको पूछे, अगर वह आज्ञा देवे तो जाना कल्प, आज्ञा नहीं देवे तो नहीं कल्पै.
( २५ ) एवं गणविच्छेदक.
(२६) एवं प्राचार्योपाध्याय. परन्तु अपनी पद्वी अ. न्यको देके जा सक्ते है.
(२७) साधु इच्छा करे कि मैं अन्य गच्छमें साधुवोंको ज्ञान देनको जाउं, पूर्ववत् सात पद्वीधरोंको पूछे, अगर आज्ञा देवे तो जाना कल्पै. और आज्ञा नहीं देवे तो जाना नहीं कल्पै.
(२८) एवं गणविच्छेदक.
(२९) एवं आचार्योपाध्याय. परन्तु अपनी पद्वी दुसरेको देके आज्ञा पूर्वक जा सकते है. भावार्थ-अन्य गच्छके गीतार्थ साधु काल धर्म प्राप्त हो गये हो, शेष साधुवर्ग अगीतार्थ हो, इस हालतमें अन्याचार्य विचार कर सकते हैं, कि मेरे गच्छमें तो गीतार्थ साधु बहुत है, मैं इस अगीतार्थ साधुवाले गच्छमें जाके इसमें ज्ञानाभ्यास करनेवाले साधुवोंको ज्ञानाभ्यास करा के योग्य पदपर स्थापन कर, गच्छकी अच्छी व्यवस्था करदु